धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
वाह ! कितना सुंदर मनोरम आपार सुख होगा वहां लेकिन उस पर्यटक को नहीं पता कितनी दुःख की वेदियों से सजता ये चमन खटकते रहते बाशिन्दे जीवन के रंगों को सहेजने में उषा से निशा भर अपने गांव को वैधव्य वेदना से बचाने को।
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