सोमवार, 29 जुलाई 2024

कौन हैं सच्चे प्रेमी?

 


1.
उसने सवाल किया
कौन हैं सच्चे प्रेमी ?
तो! मैंने गिना दिए!
पति-पत्नी
माँ-बेटी
पिता-पुत्र इत्यादि इत्यादि।

साथ ही कुछ जिगरी मित्र बताये
गीत कविता शेरो शायरी वाले प्रेमी गिनाये
खून के आत्मजन सुझाये
वेलेंटाइन, लुका छुपी वाले हमसफ़र बिंगाए।

लेकिन!
वह असंतुष्ट दिखा
और तपाक से बोला!
अरे पगले ये प्रेमी नहीं
रिश्तेदार, नातेदार हैं
जो केवल आपस में निभाते हैं
रहते नहीं
प्रेमियों की तरह युगान्तर।

ये सब
परजीवी एक दूसरे पर आश्रित
इच्छाओं के इच्छाधारी
कामनाओं के कामदेव
रीति-रश्म नवाजी
सांसारिकता दुनियांदारी की विरादरियां हैं
नहीं तो देख......
वो शमशान घाट ?

2.
और सुन!
असली प्रेम तो
तेरे शरीर और आत्मा का भी नहीं है
आत्मा को जब निकलना होता
निकल जाता है किसी बहाने
छोड़ देता काया को
घृणित बना देता देह को क्षण में
और
यही सांसारिक रिश्ते
कुछ घंटों में काया का भी
अस्तित्व मिटा देते हैं
नहीं तो देख......
वो शमशान घाट ?

3.
*जिज्ञासू अडिग जी*
दिखता हूँ
असली प्रेमियों को।

वो देख सामने.....

*वेदों को*
जिसमें ऋषि और ऋचाएं सदैव के लिए अमर हैं।

वो देख
*गणित की पुष्तकें*
जिनमें वाणभट्ट और शून्य
पृथवी पर जीवन के अस्तित्व तक आलिंगनबद्ध हैं।

वो देख *रामचरित मानस*
जिसमें तुलसी और राम वर्षों से प्रेमालीन हैं।

वो देख *सूरनामा*
जहाँ सूरदास और कृष्ण युगान्तर से रासलीला में मग्न हैं।

सुन इस आवाज़ को
*मेरा डांडी कांठयूँ का मुलुक जैल्यू*
जिसमें नरेंद्र सिंह नेगी और पहाड़ का बसंत
युगों तक खिले रहेंगे।

और वो देख आलमारी में
हजारों लाखों कृतियाँ
जिनमें उनके सृजनकार और सृजनाऐं रहेंगी युगान्तर तक
हृदय और धड़कन की तरह।

4.

और दिखता हूँ!

देख सामने *बल्ब*
जिसमें थॉमस एड़ीशन और रोशनी
धरती के अस्तित्व तक साथ रहेंगे

देख आसमान में
राईट भ्राताओं और हवाई जहाज को
देख टेबल में
चार्लस वेवेज और कम्प्यूटर को।

और जो देख रहा ना तू
अपने आस-पास,
ना-ना प्रकार की चीज वस्तुओं को
*वो कार, टिवी, फ्रीज, मशीन*
*लत्ता-कपड़ा, भांडी-वर्तन*
इत्यादि इत्यादि इत्यादि
हमारे जीवन के अहम हिस्से
इनके साथ अमर हैं इनके रचनाकार
आविष्कारक जीवन के अस्तित्व तक।

5.
और देख
कुछ जुनूनी प्रेमियों को

वो देख *युद्ध स्मारक*
जिस पर अमर हैं
शहीद सैनिक और भारतवर्ष।

6.
यही हैं सच्चे प्रेमी
*कर्म और योगीजन*
कृतिकार और कृतियां
जो
शरीर व आत्मा के न रहने पर भी
अमर रहेंगे
धरती पर जीवन के साथ।

7.
और हाँ....
दिखाना भूल गया
ऊपर के सब प्रेमियों के
जनक जननियों को
जगत के अप्रीतम प्रेमियों को।

वो देख !
मिट्टी और अन्न की डालियाँ
समुद्र और बदलियाँ
पेड़ और आक्सीजन को,

इन्हीं के अनन्य प्रेमालाप से
धरा पर जीवन जन्मा है
ये ही हैं शाश्वत प्रेमी।

और इन शाश्वत प्रेमियों के
शाश्वत सृजनहार हैं
पारब्रह्म परमेश्वर
योगेश्वर, विश्वेश्वर।


@ बलबीर राणा अडिग
28 जून 2024
ट्रेक, दीपसांगला प्लेन SSN
17740'

7 टिप्‍पणियां:

Pammi singh'tripti' ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आ और दिखाता हूं कर लें । वाह ।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद आदरणीय जोशी जी

रेणु ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण सृजन अडिग जी! बहुत ही सुंदर परिभाषा गढ़ी आपने प्रेमियों की! बिना शर्त सर्वोच्च समर्पण ही सच्चा प्रेम है! प्रकृति इसका सबसे सुंदर उदाहरण है ,जो उसके पास है हर किसी को बिना किसी भेदभाव और अपेक्षा के बाँटती है! और रण भूमि केबलिदानियों का कोई सानी नहीं! मातृ भूमि के प्रति उनके जुनून को किसी सीमा में नही बाँध सकते 🙏

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

हार्दिक आभार और धन्यवाद रेणू जी

Anita ने कहा…

वाह ! सच्चे प्रेमियों की ऐसी दास्तान तो पहली बार सुनी है, और सबका आधार है आत्मा का शाश्वत प्रेम परमात्मा !

Rupa Singh ने कहा…

शाश्वत सत्य को शाश्वत प्रेम से रूबरू कराती सुंदर कृति।