अमानुष बना कैसे
मा ने प्यार दिया
पिता ने दुलार
भाई ने साथ दिया
बहन ने आभार
अमानुष बना कैसे
समाज ने एकता दी
जाती ने अपना पन
धर्म ने सत मार्ग दिया
वेद पुराण कुरान बाईबल ने मानवता
फिर अमानुष बना कैसे
रीfत रिवाजों ने अनुसरण दिया
इतिहास ने पुनरावृति
गुरु ने ज्ञान दिया
ग्रंथों ने सन मार्ग
फिर अमानुष बना कैसे
हिमालय ने अडिगता दी
समुद्र ने शालीनता
शहरों ने जीवन्तता दी
बनो ने समाविस्ठ्ता
फिर अमानुष बना कैसे
संगिनी ने प्रेम
दिया ,
पाल्यों ने वात्सल्य .
मित्रों ने साथ दिया ,
नाते रिश्तों ने सहानुभूति .
फिर ये अमानुष बना कैसे
बसंती बयारों ने महकना सिखाया ,
सावन की बोछारों ने शीतलता .
हेमंत ने एकरूपता
सिखाई ,
शिशुर ने दृढ़ता .
फिर ये अमानुष बना कैसे
पगडंडियों ने संभलना
सिखाया ,
पथ ने अनंत दी यात्रा ,
झीलों ने धेर्य
सिखाया ,
झरनों ने मोहकता .
फिर ये अमानुष बना कैसे
सूरज ने रोशनी
दी ,
चंदा ने शीलता .
नभ ने ,छत दी ,
धरा ने आश्रय .
फिर ये अमानुष बना कैसे
विज्ञानं ने तरक्की दी ,
साहित्य ने समझ .
कवियों ने कल्पना ’kfDr दी ,
उधमियों ने रोजगार .
फिर ये अमानुष बना कैसे
भाषाओं ने व्यवहार दिया ,
बोलियों ने पहचान .
देश ने संप्रभुता
विश्व ने दिया बन्धुत्वा .
फिर ये अमानुष बना कैसे .
बलबीर राणा (भैजी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें