शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

कोटिस प्रणाम


दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी
सुगंध माटी की ललचाती होगी
बंद कमरे में बंद माँ भारती की घुटन
तुमसे सही नहीं जा सकी होगी
आज खुली हवा में सांस लेते देश की
हवा तुम्हें बुलाती होगी।

माटी का कर्ज चुकाया तुमने
अपने स्व को त्याग तुमने
बलिदान दे गए आन बान पर
रंग दे बसंती का चोला पहना तुमने
फांसी के फंदे पर झूलते वक्त
मुस्कराती माँ भारती की तस्बीर देखी होगी
दुर्गन्ध गुलामी की उबाती होगी।

शत शत नमन तुम्हें शेर ए हिन्दो
शीश नवा कोटिश प्रणाम
कोटिश प्रणाम
गीत:- बलबीर राणा "अडिग"

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