मंगलवार, 27 अक्टूबर 2015

सतर्कता जागरूकता सप्ताह विशेष

 विषय: “निवारण सर्तकता सुशासन का प्रभावी उपाय है” पर आपकी राय की अपेक्षा करता हूँ I 
सर्तकता आयोग के दिशा निर्देशानुसार देश ३१ अक्टूवर तक लोह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर सतर्कता जागरूकता सप्ताह मना रही है और इसके तहत सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission (CVC) ने देश के सभी प्रशासनो और राज्यों को सतर्कता जागरूकता सम्बन्धी दिशा निर्देश जारी किया हुआ है अब यह अभियान देश के नागरिकों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध कितना जागरूक कर पायेगा यह तो समय के गर्व में लेकिन आयोग से गुजारिस है कि यह अभियान पिछले कार्यों की तरह फाईलों व् मीडिया पब्लिकेशन की शोभा न बने, आयोग इस जारुकता अभियान के विषय निवारण सर्तकता सुशासन का प्रभावी उपाय है पर मेरी राय:-
मेरी दृष्टि से सुशासन में पांच ‘स’ होना अति आवश्यक है जिसमें सम्पूर्ण प्रजा सुखी, साधन संपन्न, सुरक्षित और स्वस्थ रहे साथ ही सुशासन की विशेषता में पारदर्शी होना, उत्तरदायी होना, विधि के नियमो का पालन करना, समावेशी होना, प्रभावी होना और कार्यकुशल होना माना गया है । युगों का इतिहास गवाह है धरती पर ऐसे कई शासक रहे हैं जिनकी प्रजा इन पांच ‘स’ से परिपूर्ण थी और आज भी विश्व के कई देश हैं लेकिन कालांतर में भारत जैसे संप्रभुता संपन्न वाले गणतंत्र में अभी तक यह सपना ही लगता है। देश को औपनिवेशिकता से मुक्ति के सात दशक होने वाले हैं फिर भी देश का आम जन एक सुखी जीवन की कल्पना खुद के लिए गाली समझता है कारण ? व्यक्ति के खुद की कमी से ज्यादा उसका शासक और शासन प्रणाली। वर्तमान भ्रष्ट तंत्र के प्रभाव से आमजन में प्रशासन के प्रति अविश्वास निराशा और क्षोभ के सिवाय कुछ नहीं है, इस अपारदर्शी प्रणाली से देश का एक वर्ग स्व उथान की सीडी चढ़ता जा रहा है और एक वर्ग मुंह ताके चढ़ने वालों को देख ख्याली पुलाव खा रहा है या अपने को असहाय महसूस कर रहा है। अब सवाल है कि कैसे आमजन की उदासी दूर हो और प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आये इसके लिए आज तक की सभी सरकारों के प्रयास बैक फुट पर ही रहे। देश भ्रष्टाचार मुक्त हो और शासन कार्य प्रणाली पारदर्शी हो इसके लिए भारत सरकार ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission (CVC) की स्थापना 1965 में की जो कि भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिए कार्य करने के लिए जबावदेह घोषित किया गया, आज तक चाहे आयोग का कार्य क्रियान्वियन असरकारी रहा हो या कागजों तक सिमित रहा हो लेकिन आयोग के इस वर्ष 2015 की सोच और रूप रेखा में आशा की किरण नजर आ रही है जिसके तहत आयोग ने अपने मूलभूत उदेश्य में से एक जागरूकता को पहचाना और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकारी तौर पर सार्वजानिक जागरूकता अभियान शुरू करने का निश्चय लिया जिसका विषय आयोग ने निवारण सतर्कता सुशासन का एक प्रभावी उपाय चुना है इस अभियान की प्रसंशा की जानी चाहिए और आशा भी। देश में ईमानदारी, पारदर्शिता और जबाबदेही की संस्कृति स्थापित हो इसके लिए हम सब नागरिकों का नैतिक दायित्व बनता है कि इस सरकार की इस मुहिम को सहयोग कर बल प्रदान करें खुद भी जागरुक हों और औरों को भी जागरूक करें तभी भ्रष्टाचार रूपी दानव से हम निजात पायेंगे।



 लेख : बलबीर राणा ‘अडिग’
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