मिलकर ऐसा दिया जलाएं
खुशियों की किरण मुश्कराये
अंतस से तम का अंधियारा
हमेशा के लिए मिट जाए।
चित बन्ध रहे भाईचारा
भेद न करे मनु-मन हमारा
यूँ ही मानवता के पहरे को
कोई अधम तोड़ न पाये
मिलकर ऐसा दिया जलाएं।
भेद न करे मनु-मन हमारा
यूँ ही मानवता के पहरे को
कोई अधम तोड़ न पाये
मिलकर ऐसा दिया जलाएं।
हर हृदय प्रेम ज्योति जले
समग्र समभाव दिप्त हो चले
चलो कर्म पथ अपना सूचित बनाएं
मिल कर ऐसा दीप जलाएं।
समग्र समभाव दिप्त हो चले
चलो कर्म पथ अपना सूचित बनाएं
मिल कर ऐसा दीप जलाएं।
पटाखे उल्लास उत्पात रहित हो
फुलझड़ियाँ चहुँ और माया मगन हो
दिवाली संदेश अडिग लाये
मिलकर ऐसा दिया जलाएं।
फुलझड़ियाँ चहुँ और माया मगन हो
दिवाली संदेश अडिग लाये
मिलकर ऐसा दिया जलाएं।
रचना:- बलबीर राणा ‘अडिग’
@ सर्वाधिकार सुरक्षित
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