मजबूर नहीं मजबूत बनकर, देश का उत्थान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें ।
चलो नित्य के काम धंधों को जरा तनिक बिराम दें
चलायमान उदर साधना को एक दिन का आराम दें
निकलो घर से आवाज दो चाटुकारिता पर चोट करें
हिंदुस्तान की मजबूती को मिलकर सब वोट करें
भागीदारी यह देश निमित राष्ट्रहित में श्रमदान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें ।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के आप मतदाता हो
एक वोट अमोल है, आप राष्ट्र भाग्य विधाता हो
ये मत समझना मेरे न जाने से क्या होने जाएगा
आपके न होने से देश, असक्षम को ढोने जाएगा
सामर्थ्यवान को समर्थ करेंगे मिलकर आह्वान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें।
मत बहकावे में आकर, अपने वोट को न व्यर्थ करें
अधिकार आपका जिसे चाहते हो उसे समर्थ करें
घपला घोटालेबाजों को लोकतंत्र मंदिर नहीं पहुंचाना
पीड़ी बंशावलियों को वोट देकर और नहीं पछताना
देश लूट कर तिजोरी भरने वालों का समाधान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें।
स्व स्वार्थ की राजनीति से लोकतंत्र गर्त में जा रहा
राष्ट्रहित परे रखकर जन-जन में फर्क किया जा रहा
यही समझना और समझाना जिम्मेवारी का काम है
सक्षम व्यक्ति को चुनकर भेजना बफादारी का नाम है
जाति-धर्म से ऊपर उठकर संविधान का मान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें।
2 अप्रेल 2019
रंचना : बलबीर राणा 'अडिग'
1 टिप्पणी:
धन्यवाद अनु शुक्ला जी
एक टिप्पणी भेजें