प्रिय नूतन इक्कीस तेरी जग्वाल
अब समाप्ती की ओर है और अब पांच घंटे के बाद तेरी नन्हीं किलकारियां इस धरा मंडल पर
गुंजनी सुरु हो जायेंगी। तेरे आने की खुशी में पृथवी वासी अति ब्याकुल हैं। कोई केक,
कोई दिया बाती, पटाके फुलझड़ीयां लेकर तेरे स्वागत के लिए बेकरार हैं कुछ कुछ ने तो
महंगी से महंगी ब्रान्ड ले रखी हैं कि आज तो छक पीना है और कल से लालमणी को बिल्कुल
हाथ नहीं लगायेंगे बल, कसम से। कुछ कुछ तो अबेर के जैसे बोल्या सिगरेट बीड़ी के सुटटे
पर सुटटे ऐसे मार रहें है जैसे हाफ टाईम में बाथरुम की आड़ में स्कुल्या छोरे मारते
हैं। वे भी कल से पीताम्बरी और स्वेताम्बरी को तिलांजली देगें बल। और तो और कुछ कुछ
आदर्श खरचिली गृहणियों ने आज खूब सौपिंग कर ली और घर में खूब पार्टी सार्टी का इंतजाम
भी किया कि कल से वे अपने फिजूलखर्ची पर लगाम लगायेंगे। ये तो भ्वोळ से ही देखी जायेगी
कि कौन कितना वादा निभता है। प्रिय नूतन इसी तरह पिछले अन्य बर्षों के आने के स्वागत
में पृथवी लोकवासी आने वाले नूतन वर्ष का स्वागत सत्कार करते आये है और आगे भी करते
रहेंगे। यह लोक आशाबाद पर जीता है और आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करता है।
अब तेरे आने से पहले पत्र लिखने का खास कारण इस प्रकार है कि रिवाज
के अनुरुप पिछले साल तेरे बड़े भाई बीस बीस के स्वागत में हमने कोई कोर कसर छोड़ी थी।
पर वा र्निभगी ना ना प्रकार के दुख और सबक दे गया। पिछली जनवरी को चीन के बुहान के
अलावा पूरा विश्व नव उंमग और नव उर्जा के साथ बीस के साथ आन्दमयी जीवन निभाने के लिए
अपने अपने कर्यों में तल्लीन हो गये थे। मार्च आते आते एक अदृश्य वायरस करोना ने सारे
संसार को हिलाना सुरु कर दिया और जन मानस अपनी जान की चिन्ता में त्राहीमान करने लगे।
हमारे देश में सफेद दाड़ी बाल
वाले राष्ट्र नायक ने बाईस मार्च को जनता र्कफ्यू की अपील कर दी पूरे देश ने राष्ट्र
नेता की आज्ञा का पालन किया और जनता र्कफ्यू को सफल बनाया फिर क्या था फिर था सफेद
दाड़ी बाल वाले ने पच्चीस मार्च से सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी, और यह सिलसिला
आगे बड़ता गया। जीवन पंछी के पर रुक गये जीवन घरों में कैद हो गया। राशन की दुकानों
में लाईन लम्बी होती गयी। पेट्रोल पम्प घाम तापने लग गये सड़के सूनी हो गयी, रेल, जहाज,
गाड़ी, घोड़े खाली हाथ बैल बेचे जैसे हल्या के खोल्ये रह गये।
प्रिय नूतन इक्कीस बाबू एक
हप्ते में सम्पूर्ण धरती ऐसे चकाचक साफ हो गई मानो ऐरियल डिटर्जेन्ट से धुलाई की हो।
खग मृग पोन पंछी स्वछन्द विचरण करने लग गये। वाटसैप फेसबुक के भले दिन आ गये लोग विडीयो
कॉल और ऑनलाईन में करतब दिखाने लगे। घर में बैठे बच्चे बड़े बूड़ों संग रामायाण देख संस्कार
सिखने लगे और दादी नानियों के किस्सों के दिन आने लगे। एक ही घर के अन्दर रहने वाले
जो जो भाई भौज नोकरी के चलते हप्तों तक आपस में नहीं मिल पाते थे वे आपस में कैरम बेटमिंटन,
सांप सीड़ी, लूडो और तास सीप में जमने लगे। मर्द किचन और फर्स पौंचे में बीबी का हाथ
बांटने लगा। सुबह सुबह घर की छतों में सूर्य नमस्कार और योगासन होने लगा। भारतीय आयुर्वेद
जुबान से व्यवहार में आने लगा। बिचारे तेज पत्ता काली मिर्च सौंप, गिलोई आदी औषधियों
की घर घर कुटाई होने लगी। रामदेव बाबा की दुकान को और चार चांद लगने लगा।
नूतन इक्कीस बाबू तीन महीने ऐसे ही किसी की मौज में तो किसी की फौज
में कटी विशेषकर अपने मजदूर भाईयों का सबसे
ज्यादा निरोण हुआ विचारे झोला तमला और अपने सेर पाथों को कोळी उठाकर पैदल ही भूखे नंगे
अपने पुश्तेनी घर कूड़ी की और लौटने लगे। गांव की बंजर कुड़ियां आवाद होने लगी। विरान
उबरों से धुंवा आने लगा तो जाले लगे डंडियाळियां चहकने लगी। बांझ से घीरी चौक की पठाली
बांझा मुक्त होकर खुशी के मारे नाचने लगी। चलो यह र्निभगी करोना किसी के मुख पर तो
हंसी लाया।
पर बाबू क्या बोलना इस दुर्बीज ने ऐसा अनर्थ किया कि जो इसका ग्रास
बना उसको अपनो के हाथ का आखरी पानी की घूंट तो दूर कंधा तक नसीब नहीं हुआ। लोग अपनों
से ही भय खाने लगे। खिलते स्वाणे मुखड़ों पर म्वाले लग गये, लोग हाथ मिलाना तो दूर हर
घड़ी सनिटाईजर से हाथ मलने लगे। लुतड़े लग गये बाबा हाथों पर। बाहर से आये आदमी को लोग
ऐसे देखने लगे ऐ ब्वोयी जैसे यमराज आया हो। खैर जाने वाले ने जाना ही था क्योंकि उसका
दाना पानी इस लोक में समाप्त हो चुका था पर भय नाग बन सबके झिकुडियों को हिर्र हिर्र
डराता रहा। सबसे ज्यादा नींद खराब उन ज्वान नोने नोनियों की हुई जिनकी शादी कैन्सल
हुई ऐंरा बिचारे तीन तीन, चार चार महिने सुहागरात की जग्वाल में करवट बदलते रहे।
चलो जैसे तैसे सरकार और जनता ने हिम्मत बांधी और काल करोना के साथ
जीने का तरिका अपनाना सुरु किया नयें अंग्रेजी शब्द आम लोगों की घर्या जुबानी डिक्सनरी
और व्यवहार में शामिल हो गये। जैसे सेनिटाईजेशन, सोशियल डिस्टेसिंग, क्वारन्टाईन, होम
आईसोलेसन आदी आदी। बाबू जून से लॉककडाडन खुलना सुरु हुआ और आम जिन्दगी पटरी पर आने
लगी। अब तेरे बड़े भ्राता बीस के जाते जाते वैज्ञानिकों ने दुनियां की सांस बढ़ा दी है
कि ब्वना छाँ कि वेक्सीन तैयार हो गई बल। किसी किसी देश ने तो लगानी भी सुरु कर दी
है बल। पर अभी भी वो लम्बा सफेद फ्रेंचकट दाड़ी वाला अमिताभ बच्चन अपनी भारी रौबिली
आवाज में मोबाईल पर समझा बुझा रहा है कि जब तक दवाई नही तब कोई ढिलाई नहीं। अफूं त
ढीला होकर करोना ग्रसित हो गया था पर भाई आखिर जंग जीत गया तो उसने बोलाना ही जो ठैरा।
ये है बाबू नूतन इक्कीस तेरे पीठी के बड़े भाई बीस की बिदागत। ये तुझे इस लिए बताना भी जरुरी था कि उसका असर पसर तेरे पर भी पूरा का पूरा रहने वाला जो ठैरा ताकि तू भी अभी से कमर कस ले। पर बाबू और कुछ अचाणचक वाली आफद मत लाना यार जैसे बाड़ साड़, रगड़ बगड़, खंड मंड और चीन पाकिस्तान जैसे दुर्बिज पड़ोसियों की बिना बात की छिंज्याट। तुझे पता नहीं कि इन झगड़े फिरसादों और करोना के चक्कर से हमारे कई फौजी भाई पूरे साल भर छुटटी नहीं काट पाये ऐरां विचारे देश खातिर लदाख, नीती माणा, सिक्किम और अरुणाचल की हिंवाली पहाड़ियों में तड़तड़े अडिग हैं। चल त मैं भी अब तेरे स्वागत की तैयारी करता हूँ मेरे दगड़या ने स्पेशल ब्रांड रखी है बल आज। बाकी भ्वोळ से देखा जायेगा तेरे साथ। जय हिन्द।
तेरा शुभचिन्त
अडिग काका
@ बलबीर सिंह राणा अडिग
2 टिप्पणियां:
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें....
बहुत सुन्दर और सारगर्भित।
नव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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