बाहर पटाके फुट रहे थे
गानों का शोर सराबा
चल राहा था,
देखा, सुना पूछा तो
पता चला
नयां साल आ रहा है।
हिन्दू ने कहा हमारा नहीं
इसाईयों का आ रहा है
मोमिन बौद्ध तठस्त थे,
सबको देख सुन
मैं शुभम करोति कल्याणम
कह अन्दर आ गया
क्योंकि कर्म पथ पर
मेरी हर सुबह
नयें युग, नयें साल, महिने
और नयें दिन का होता है
सबको आपकी मान्यता
मुबारक ।
मेरा अंक दिवस मुबारक ।
@ बलबीर
राणा अडिग
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर और सारगर्भित।
नव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
कर्म पथ पर
मेरी हर सुबह
नयें युग, नयें साल, महिने
और नयें दिन का होता है
सबको आपकी मान्यता
मुबारक ।
सर्वथा सत्य कहा आपने। मान्यताओं को एक आईना दिखाती बेहतरीन रचना। ।।।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित बधाई। आदरणीय "अडिग" जी।
धन्यवाद आदरणीय गुरुदेव शास्त्री जी और आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी आपको भी नूतन वर्ष की मंगलकामनायें।
खुशियों और सुखद जीवन राह हो तो हर दिन नया है
दिन, सप्ताह और फिर १२ माह का सफर ख़त्म तो नया साल शुरू,
फिर क्या तेरा क्या मेरा। कल तुम्हारा आज हमारा
बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
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