हाथ बांधो मत बढ़ाया करो,
श्रद्धा से कुछ चढ़ाया करो।
जिगर में जान होनी चाहिए,
फिर जो चाहो मढ़ाया करो।
श्री गणेश तो करो श्री मिलेगी
यूँ श्रीमान से न कतराया करो।
उन्नीस-बीस चलता है पर,
सौ का सौ न पचाया करो ।
बात करनी है तो सुल्टी करो,
उल्टी पट्टी न पढ़ाया करो।
प्रशंसा उतनी अच्छी जितना है
चने के झाड़ में न चढ़ाया करो।
©® बलबीर राणा 'अडिग'
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