रविवार, 1 अक्टूबर 2023

हाथ बांधो मत बढ़ाया करो


हाथ बांधो मत बढ़ाया करो,
श्रद्धा से कुछ चढ़ाया करो।

जिगर में जान होनी चाहिए,
फिर जो चाहो मढ़ाया करो।

श्री गणेश तो करो श्री मिलेगी
यूँ श्रीमान से न कतराया करो।

उन्नीस-बीस चलता है पर,
सौ का सौ न पचाया करो ।

बात करनी है तो सुल्टी करो,
उल्टी पट्टी न पढ़ाया करो।

प्रशंसा उतनी अच्छी जितना है
चने के झाड़ में न चढ़ाया करो।

©® बलबीर राणा 'अडिग'

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