रविवार, 7 अप्रैल 2019

गढ़वाली जवान हूँ


जीवन का नेह निचोड़ गीत मातृभूमि का गाता हूँ
तिरंगे वसन का प्रेमी मैं शौर्य विजय की गाथा हूँ
मौन क्षितिज चारों दिशाओं पर पूरा हिंदुस्तान हूँ
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।

वीर गबर दरवान जसवंत के देश का वासी हूँ
सघन बनों दुर्गम ठौर प्राचीर प्रहरी सन्यासी हूँ
भय न किसी झंझावतों से न फिक्र तुफानो की
कीट कीकर में फंख खोल उड़ने का अभ्यासी हूँ।

राष्ट्र रक्षार्थ कर्मवेदी पर रचा गया एक विधान हूँ
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।

क्यों न दुःख कराल कष्टों से मेरा जीवन संसार रहे
चाहे समर भूमि में धधकता शोला व हाहाकार रहे
युद्धाय कृत निश्चय: आदर्श सर माथे पर रखता हूँ 
बद्री विशाल लाल की जय का, जय घोष करता हूँ।

रेड लाईन यार्ड वर्दी धारी औरों से परे पहचान हूँ 
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।

गम नहीं मैं आहुत हो जाऊं भारत माँ तेरा प्रताप रहे
वेग बुलंद हो उन्नति का इस भुवन अमित छाप रहे 
पहाड़ी पुत्र हूँ सिंहनाद कर अरि मांदों पर झपटता हूँ 
शपथ ली पुनीत गीता की गीत महाभारत के गाता हूँ।

राष्ट्र सुख शांति निमित एक कवच हूँ परिधान हूँ 
भारतीय सेना की शान हूँ वीर गढ़वाली जवान हूँ।

रंचना : बलबीर राणा 'अड़िग'

मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

लोकतंत्र के पर्व पर


मजबूर नहीं मजबूत बनकर, देश का उत्थान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें ।

चलो नित्य के काम धंधों को जरा तनिक बिराम दें
चलायमान उदर साधना को एक दिन का आराम दें
निकलो घर से आवाज दो चाटुकारिता पर चोट करें
हिंदुस्तान की मजबूती को मिलकर सब वोट करें
भागीदारी यह देश निमित राष्ट्रहित में श्रमदान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें ।

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के आप मतदाता हो
एक वोट अमोल है, आप राष्ट्र भाग्य विधाता हो
ये मत समझना मेरे न जाने से क्या होने जाएगा
आपके न होने से देश, असक्षम को ढोने जाएगा
सामर्थ्यवान को समर्थ करेंगे मिलकर आह्वान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें।

मत बहकावे में आकर, अपने वोट को न व्यर्थ करें
अधिकार आपका जिसे चाहते हो उसे समर्थ करें
घपला घोटालेबाजों को लोकतंत्र मंदिर नहीं पहुंचाना
पीड़ी बंशावलियों को वोट देकर और नहीं पछताना
देश लूट कर तिजोरी भरने वालों का समाधान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें।

स्व स्वार्थ की राजनीति से लोकतंत्र गर्त में जा रहा
राष्ट्रहित परे रखकर जन-जन में फर्क किया जा रहा
यही समझना और समझाना जिम्मेवारी का काम है
सक्षम व्यक्ति को चुनकर भेजना बफादारी का नाम है
जाति-धर्म से ऊपर उठकर संविधान का मान करें
लोकतंत्र के पर्व पर निस्वार्थ होकर मतदान करें।

2 अप्रेल 2019
रंचना : बलबीर राणा 'अडिग'