शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सकून



उस बस्ती बस्ती में
सकून को हँसते देखा
जहाँ कच्चे ठिकानों में
पक्के ठौर थे
बेचैनी के अट्टाहास ने
सहमा दिया वहां
जहाँ  रात
चमचमाती झालरों में नाच रही थी। 

@ बलबीर राणा 'अडिग'

बुधवार, 25 सितंबर 2019

रिश्ते



इस आश पे रोज पैरों को निकलता  हूँ
कि नाप सकूं फासले रिश्तों के इस जहाँ में
पर ठिठक जातें कदम उन खाईयों देख
जिनके मिजाज खुद में बहुत गहरे हैं।

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

राष्ट्र नायक की प्रतिष्ठा में


उस कर्मयोग, तप निष्ठा की जय
भव फलक भारत प्रतिष्ठा की जय
नित नव लक्ष्य शरसंधान की जय
सक्षम शख्स स्वाभिमान की जय
अंतस प्रेरित ललक लगन की जय
अरि दाह समर्थ अगन की जय।

देश न रुकने देने का संकल्प
देश न झुकने देने का संकल्प
संकल्प नभ तक भारत पताका का
मंजूर न किया और कोई विकल्प।

दूर दृष्टा ओजशस्वी ओजवान
पथिक वो अनवरत गतिवान
जीवन भारत वैभव को समर्पित
प्रबल इच्छाशक्तिधारी हिम्मतवान ।

बचना चंट चटक चाटुकारों से
कुर्सी के चपल साहूकारों से
दृग सुदामाओं तक पहुंचना बाकी
तभी मिलेगी मुक्ति मुफलिस विकारों से।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'