रविवार, 11 जून 2023

गजल



आज अगर बातों को यूँ टाले जाओगे,

कल अपने ही घर से निकाले जाओगे।


ना बचा सकोगे इज्जत ना ही आबरु,

अगर मुँह पर यूँ ही ताले जाड़ाओगे।


खतेंगे सबके तिमले और नंगे भी दिखेंगे,

अगर केवल चुपचाप कनसुणी लगाओगे।


दे दिया कब्ज़ा सब छोटे बड़े धन्धों का, 

तुम केवल आरक्षण पर पाले जाओगे। 


अभी तो जेहाद लेंड लव तक ही पहुँचा,

कल कलमा कलाम के लिए ढाले जाओगे।


जगना नहीं जलाना है बिकराल ज्वाला बन,

चुप बुझे रहे तो कबरों में धकेले जाओगे।


@ बलबीर राणा 'अडिग'

रविवार, 4 जून 2023

पशु और मनुष्य में फर्क

 

यह तस्वीर मेरे पास 2011 से है जब भी मेरे अंदर का मनुष्य भटकने की कोशिश करता में इस तस्वीर को देखता हूँ।

यह तस्वीर वर्तमान युग में मानव त्रासदी और विभित्सिका की सबसे क्रूर तस्वीर मानी  जाती है, इसे नाम  दिया गया  था 

The vulture and the little girl


इस तस्वीर में एक गिद्ध भूख से मर रही एक छोटी लड़की के मरने का इंतज़ार कर रहा है।

इस फोटो को 1993 में साउथ अफ्रीकन फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर ने सूडान अकाल के समय शूट किया था। 

और इस तस्वीर पर उन्हें पुलित्जर पुरस्का



से सम्मानित भी किया गया था।

लेकिन इस सम्मान के कुछ  दिन बाद कार्टर ने आत्महत्या कर ली थी । 

कारण  क्या था? इतने बड़े और सम्मानित पत्रकार के आत्महत्या करने का ।

दरअसल यह फोटो दुनियां में खूब  वायरल  हुई, तस्वीर व सूडान अकाल पर विश्वभर में खूब चर्चा परिचर्चा  हुई, 

पुलित्जर पुरस्कार सम्मान के पश्चात एक इंटरव्यू में कार्टर को किसी पत्रकार द्वारा पूछा गया कि *उस लड़की का क्या हुआ?* तो कार्टर ने कहा था यह देखने के लिए मैं रुका नहीं क्योंकि मुझे फ्लाइट पकड़नी थी। 

इस पर इंटरव्यूइंग पत्रकार ने कहा आपको पता है उस दिन वहां दो गिद्ध थे।

कार्टर ने कहा मैंने एक ही देखा.

पत्रकार ने कहा मैंने दो गिद्ध देखे। 

एक गिद्ध जो लड़की  के मरने की इंतजार कर रहा था 

दुसरा

जिसके हाथ में कैमरा था।


*बस  क्या था इस बात ने*  कार्टर को इतना विचलित किया कि उसके अंदर का इन्शान उसे धिक्कारने लगा, जिससे वह अवसाद में चला गया और अंत में उसने ने आत्महत्या कर ली।


अगर उस दिन कार्टर तस्वीर लेने के बाद उस बच्ची को उठाकर किसी कुपोषण सेन्टर तक पहुँचा देता तो लड़की को जीवन दान मिल सकता था लेकिन प्रोफेशन  के नशे ने ऐसा नहीं होने दिया।


*सीख* 

अतः आप किसी भी प्रोफेशन में किसी भी पोज़िशन में क्यों न हो आपमें अगर मानवता नही तो आपका ओहदा पैंसा  रुतवा सब व्यर्थ है।

आपमें में मानवता नहीं है तो आप भी धरती पर उदर धीत हेतु परिश्रम करने वाले मात्र एक जीव हो। 

पशु और मनुष्य  में इतना ही फर्क होता ।


राम राम

जय  हिन्द 

*@ बलबीर  राणा 'अडिग'*