रविवार, 11 जून 2023

गजल



आज अगर बातों को यूँ टाले जाओगे,

कल अपने ही घर से निकाले जाओगे।


ना बचा सकोगे इज्जत ना ही आबरु,

अगर मुँह पर यूँ ही ताले जाड़ाओगे।


खतेंगे सबके तिमले और नंगे भी दिखेंगे,

अगर केवल चुपचाप कनसुणी लगाओगे।


दे दिया कब्ज़ा सब छोटे बड़े धन्धों का, 

तुम केवल आरक्षण पर पाले जाओगे। 


अभी तो जेहाद लेंड लव तक ही पहुँचा,

कल कलमा कलाम के लिए ढाले जाओगे।


जगना नहीं जलाना है बिकराल ज्वाला बन,

चुप बुझे रहे तो कबरों में धकेले जाओगे।


@ बलबीर राणा 'अडिग'

कोई टिप्पणी नहीं: