शनिवार, 16 सितंबर 2023

वक्त मिला नहीं अकसर बहाना होता



वक्त मिला नहीं अकसर बहाना होता,
वक्त का आना-जाना तो रोजाना होता।

वक्त नहीं करता किसी का इंतजार,
पकड़ो तो याराना, छोड़ो तो वेगाना होता।

नहीं होती भेंट अकल और उमर की,
एक का आना तो, एक का जाना होता।

दिललगी करो, दिललगी होनी चाहिए,
हाँ दिललगी को दिल से निभाना होता।

कुछ चेहरे होते हैं मन मोहने वाले, पर
चेहरों पे मर-मिट जाना बचकाना होता।

नजाकत देख ही गुफ़्तगू करना अच्छा,
हर मौसम नहीं सबको सुहाना होता।

पर्वत झरने नीड़ नदियां हैं जितने मोहक,
इस मोहकता को झंझावतों से लड़ना होता।

जरा संभल के और पूरा डट के अडिग,
वक्त को वक्त से वक्त पर उठाना होता।

@ बलबीर राणा 'अडिग'
चमोली उत्तराखंड

शनिवार, 9 सितंबर 2023

शिक्षित क्या हुए कि घरानों में बंट गए,



शिक्षित क्या हुए कि घरानों में बंट गए,
एक छत वाले अलग मकानों में बंट गए।

विकास में यूँ उड़े गाँव के तमाम पक्षियां,
शहरों को गये और विरानों में बंट गए।

जब चूजे थे एक घोंसले में चहकते थे,
बड़े क्या हुए कि बियाबानों में बंट गए।

जब तक कुंवारे थे घुघते साथ चुगते थे,
घुघती आई कि, अंदर खानों में बंट गए।

ईमानदारी से भौंक रहे थे कुत्ते गलियों में,
हड्डी मिली कि सारे बेईमानों में बंट गए।

कल तक सारी बस्ती एकजुट थी अडिग,
चुनाव आया, नेताओं की जुबानों में बंट गए।

बियाबान - जंगल
घुघता - पहाड़ी पक्षी

@ बलबीर राणा 'अडिग'

शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

गजल



मान लो तो परेशानी होगी,

ठान लो तो आसानी होगी।


तिल का ताड़ बनाओगे तो,

शांत लहरें भी तूफ़ानी होगी।


व्यवहार में यूँ वेरुखी रखोगे तो,

जानी सूरत भी अनजानी होगी।


देव-धर्म मौ-मदद से दूर रहे अगर,

जब अपनी पर आये हैरानी होगी।


लगाम न लगी किशोरवय पर तो 

फिर सामने-सामने मनमानी होगी।


बिना मतलब कोई धुर्र न बोले अडिग, 

मतलब को इज्जत जानी-मानी होगी।


धुर्र - दुत्कार 


@ बलबीर राणा 'अडिग'

ग्वाड़ मटई बैरासकुण्ड चमोली 


शनिवार, 2 सितंबर 2023

गजल



कभी नहीं छूटता चलने को,

संघर्ष जीवन से निकलने को।


सुरज इस लिए रोज बुझता है,

फिर एक नईं सुबह जलने को।


वक्त चलायमान रुकता कहाँ, 

वक्त होता ही है गुजरने को।


लगे रह हैरान परेशान न हो,

तू आया ही है कुछ करने को।


संजो समय को सामर्थ्य से,

सामर्थ्य होता ही संवरने को।


कर्म का नाम ही जीवन अडिग,

कर्म बिन जीवन न निखरने को। 


@ बलबीर राणा 'अडिग'

गजल



पाने के लिए ख्वाहिश होनी चाहिए,
मिल जायेगा कोशिश होनी चाहिए।

ख़्वाब देखने की मनाही नहीं परन्तु,
पूरा करने को आजमाइश होनी चाहिए।

हाथ पकड़ लेंगे पकड़ने वाले चाहोगे तो,
हाथ पकड़ाने की गुजारिश होनी चाहिए।

फौलादी इरादे, बुलंद होंसले सब कुछ हैं,
मगर मंजिल की महा कोसिस होनी चाहिए।

कितना ज्ञानवान गुणवान क्यों नहीं आजकल,
पर फिर भी सिफारिस होनी चाहिए।

दिखती नहीं ईमानदारी इस जमाने में सहज़
ईमानदारी की भी नुमाइश होनी चाहए।

गर्जवानों की गर्ज में गरजके अडिग,
गरिमा की भी गुजारिश होनी चाहिए।

9 अगस्त 2023
✍️✍️✍️@ बलबीर राणा 'अडिग'

गजल



कभी नहीं छूटता चलने को,

संघर्ष जीवन से निकलने को।


सुरज इस लिए रोज बुझता है,

फिर एक नईं सुबह जलने को।


वक्त चलायमान रुकता कहाँ, 

वक्त होता ही है गुजरने को।


लगे रह हैरान परेशान न हो,

तू आया ही है कुछ करने को।


संजो समय को सामर्थ्य से,

सामर्थ्य होता ही संवरने को।


कर्म का नाम ही जीवन अडिग,

कर्म बिन जीवन न निखरने को। 


@ बलबीर राणा 'अडिग'

चाँद पर चार चाँद लगा दिया हमनें



दक्षिणी ध्रुव पे पाँव जमा दिया हमने,

चाँद पर चार चाँद लगा दिया हमने।


हम किसी से कम नहीं दुनियाँ वालो, 

चन्द्रमाँ पर तिरंगा फहरा दिया हमने।


जिन नक्षत्रों की गणना युगों पहले कर दी थी,

उन्हीं नक्षत्र का नयाँ नक्शा बना दिया हमने।


प्रतिभा में ना तब कम थे न आज हैं हम,

हम क्या हैं दुनियाँ को दिखा दिया हमने।


आत्मज्ञान विज्ञान सब में अग्रणीय रहे हम,

अंतरिक्ष में एक नयाँ इतिहास रच दिया हमने।


लग गए ताले रिपु बामियों के मुख पर,

कार्टून बनाने वालों को दिखा दिया हमने।


अडिग का नमन युग पुरुष वैज्ञानिकों को,

विश्वगुरु की राह कदम बड़वा दिया तुमने।


23 अगस्त 23

@ बलबीर राणा 'अडिग'

गौरव गीत : फेब फोट्रीन



जय हो बद्री विशाल, जय हो चौदह गढ़वाल।

तेरी सेवा करते रहेंगे, चाहे जैसा भी हो हाल।


त्याग समर्पण दृढ़ता पर, 

अडिग हैं हम हर हाल।  

असम्भव कहना सीखा नहीं,

भारत माता के हम हैं लाल।


माथा तेरा झुकेगा नहीं,  

चाहे लहू भरे तालाब।  

हमेशा डटे रहेंगे 

हर वक्त हर हाल।


जय हो बद्री विशाल…….


जोधपुर से सिक्किम चढ़े,  

पिथोरागढ़ से सियाचीन बढे।  

मेघदूत में प्रशंसा पाकर, 

मेरठ में और निखरे।


मणिपुर के जंगळों में,  

विद्रोहियों को धूल चटाया।

सी आई पहली विजय पर,

साईटेशन हमने पाया।


जय हो बद्री विशाल……


देहरादून के पीस में

खेलों में किया कमाल।  

नौसेरा एल सी पर,

हमने मचाया धमाल।


दुष्मन के घर में घुसकर, 

तांडव हमने मचाया।

पाकिस्तानियों को ढेर करके 

दुसरा साईटेशन कमाया ।


जय हो बद्री विशशाल……


ऑप पराक्रम सांबा में,

बुद्धी शक्ति हमने दिखाया,

बारूद लेंड माईनों का,

नयां इतिहास रचाया।


कटिहार फैजाबाद में,

ट्रेनिंग का लोहा मनवाया। 

विश्व शांति कांगो में,   

पल्टन ने कदम बढ़ाया।


जय हो बद्री विशाल…….


यू एन प्रशंसा लेकर,   

स्वदेश की ओर बढ़े,

नौगाम कश्मीर तरफ, 

पल्टन के कदम चढ़े। 


जटि की चोटियों पर,

मुजाहिदों को खूब ठोका, 

अजय तौमर की कृति ने, 

तिसरा साईटेशन दिलाया ।


जय हो बद्री विशाल……


गरुड़ ताज़ पहन के, 

रानीखेत के राजा बने,

पल्टन का करवां आगे, 

आसाम की तरफ चले।


ऑप स्नोलेर्पड में,

समर्थ सामर्थ्य सराहाया, 

पल्टन का झंडा फिर,

मेरठ पीस आया।


जय हो बद्री विशाल…..


पाईन डिवीजन में 

चैम्पियन का ताज़ सजा, 

गढ़वाली भुलाओं का 

हर तरफ डंका बजा।


दीपसांग ट्रेक, लेह में 

भुजबळ अब दिखाएंगे,

चुंग-फुंग चीनियों को 

दम-ख़म हम बताएँगे।


जय हो बद्री विशाल…..


अमन हो या युद्धकाल,

कर्मपथ पर अडिग रहे।

अजेय यात्रा हमारी,   

चारों दिशाओं में चलती रही।


अडिग नीव रखने वालो,

तुम्हें सत सत प्रणाम। 

खंडित नहीं हाने देंगे, 

कहता है पल्टन जवान।


जय हो बद्री विशाल, जय हो चौदह गढ़वाल।

तेरी सेवा करते रहेंगे, चाहे जैसा भी हो हाल।


@ बलबीर राणा अडिग 

बीर राणा  ‘अडिग’*