बुधवार, 15 अगस्त 2012

जीवन का श्रिंगार


जीवन का श्रिंगार

आशाओं और उल्लास से भरा जीवन
प्रकृति नौबहार से सजी
चहुॅ ओर मनोहारी
फिर कौतुक किस बात का
चलो कुछ मनोरथ कर जायें
एक दूजे का हाथ बढायें
मानवता धर्म निभायें
जीवन का श्रिंगार कर जायें

2 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह....
बहुत सुन्दर रचना...
मनभावन विचार....

अनु

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार अनु जी