मंगलवार, 28 अगस्त 2012

अहसाश जो जीने के मायने बदला गया



मैं शांत और चुप खडा था
पास थी तो सिर्फ तनहाई और
प्रतिघाती नीरसता।
तभी हवा का एक झोंका आया
एक अहसाश दे गया। 
दिल के दरवाजे पर दस्तक देके
श्रुतिपटल पर एक शब्द कह गया।
जीवन से प्रेम ..............
जीवन से प्रेम ??
हां जीवन से प्रेमA
अब उन शब्द्लाहरियों की गुन गुन                
सात सुरों का समवेत बांधती गयी
मन में हलचल, चित चंचल करती गयी
दिल में सुमन की कोंपलें फूटने लगी। 
आशा का दीप जला
निरसता और तनहाई कोषों दूर।
सामने जीवन की मादकती नूपुरता
स्वागत के लिए खडी
हवा का झोंका जिस वेग से आया था
उसी वेग चले गया 
बस !! अब था तो केवल एक अहसाश
वह अहसाश-------------
जो अब जीने के मायने बदला गया था A

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