शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

राजनीती तेरा चेहरा


राजनीती  तेरा चेहरा
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल  गया

जन हित छोड
स्वहित पर टिक गया
राज नेता राज के लिये नहीं
केवल ताज पहनने के लिये होते हैं
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल गया

देश प्रेम  में मानभाव
देशद्रोहियों को पालते हैं
विकाश की परपाटी को
भ्रष्टाचार से पोतते हैं
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल गया

अपने ही राष्ट्र सम्बोधन में
बिदेशी भाषा बालते हैं
मन कर्म वचन से ये लोग
कुर्शी के लिए दौड लगाते हैं
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल गया

कर सेवा जनता की
केवल घोषणाये करके छोडते हैं
वोट बैंक] के खातिर 
जात पात की लडाई लडाते हैं
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल गया

राष्ट्रएकता के नाम पर
धर्म के दिये जलाते हैं
देश भक्तों की सदाहत पर
ताबूतों तक का घोटाला कर जाते हैं
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल गया

करें  संसद का मान इतना
जूते बाजी करते हैं
लोकतन्त्र की पराकाष्टा को
भ्रष्ट तन्त्र बनाते हैं
जनता की आवाज को
पुलिसिया दमन से कुचलते हैं
राजनीती  तेरा चेहरा
कितना बदल गया
……………………………………..बलबीर राणा "भैजी"
१५ अगस्त २०१२
 



कोई टिप्पणी नहीं: