धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
****माँ माटी और मिशन****
माँ, माटी और मिशन
यही मेरा धर्म
शिकवा नहीं
मेरा घर बिलख रहा
उसका घर खिलखिला रहा
माटी के लिए
बलिदान फितरत में थी
बलिदान हो गए
जय हिन्द गाते गाते।
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