डंसती रहेगी ये सर्पीली सड़कें आखरी कब तक
उठती रहेगी यूं असमय चिताएं आखरी कब तक
कौन दोषी किसके सर फोड़ें ठीकरा इस जुल्म का
बिना जुल्म के जुल्म ढहता रहेगा आखरी कब तक।
यूं वेकसूर को हर ले जाएगी मृत्यु आखरी कब तक
हंसते खेलते परिवार पर तुषारपात आखरी कब तक
कौन आया वो मौत का सौदागर इन सुंदर वादियों में
बिना मोल का ले जाना जारी रहेगा आखरी कब तक।
सौदे कायदे कानून का जेबों में आखरी कब तक
पतवार नौसीखिये केवट हाथों आखरी कब तक
नहीं थाम सकेगा पतवार वो मतवाला झूमते हाथों से
डूबाते रहोगे नैया हम पहाडियों की आखरी कब तक।
@ बलबीर राणा 'अड़िग'
उठती रहेगी यूं असमय चिताएं आखरी कब तक
कौन दोषी किसके सर फोड़ें ठीकरा इस जुल्म का
बिना जुल्म के जुल्म ढहता रहेगा आखरी कब तक।
यूं वेकसूर को हर ले जाएगी मृत्यु आखरी कब तक
हंसते खेलते परिवार पर तुषारपात आखरी कब तक
कौन आया वो मौत का सौदागर इन सुंदर वादियों में
बिना मोल का ले जाना जारी रहेगा आखरी कब तक।
सौदे कायदे कानून का जेबों में आखरी कब तक
पतवार नौसीखिये केवट हाथों आखरी कब तक
नहीं थाम सकेगा पतवार वो मतवाला झूमते हाथों से
डूबाते रहोगे नैया हम पहाडियों की आखरी कब तक।
@ बलबीर राणा 'अड़िग'
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