पर्व यह अभिमान का है
प्रेरणा पुरुषों को प्रणाम का है
त्याग समर्पण और दृढ़ता का
सैन्य फलक पर प्रमाण का है ।
पर्व फेब फोर्टीन की शान का है
शौर्य विजय गाथा गुणगान का है
असंभव कहना नहीं सीखा जिन्होंने
उन रणवांकुंरों के स्वाभिमान का है।
पर्व जन्म जमान्तर विधान का है
गढ़वालियों के स्वाभिमान का है
हो गए जो वतन के लिए आहुत
वीरात्माओं को श्रद्धासुमन सम्मान का है
पर्व है गर्व और गौरव का
पल्टन के सौरव सौष्टव का
वर्तमान कर्मवेदी पर खरा उतरें
वैसे ही कंचन बनकर निखरें
जिन कंचनो की आभा से दीप्त हुआ यह भवन
उन नीव की ईंटों का स्वागत सुमिरण
भविष्य उसी समर्पण से सृजित करेंगे
सत श्री पौधों को उर्जित करेंगे।
रंचना : बलबीर सिंह राणा 'अड़िग'
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