गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

शुभम करोति कल्याणम

       


       बाहर पटाके फुट रहे थे

      गानों का शोर सराबा

      चल राहा था,

      देखा, सुना पूछा तो पता चला

      नयां साल आ रहा है।

      हिन्दू ने कहा हमारा नहीं

      इसाईयों का आ रहा है

      मोमिन बौद्ध तठस्त थे,

      सबको देख सुन

      मैं शुभम करोति कल्याणम

      कह अन्दर आ गया

      क्योंकि कर्म पथ पर

      मेरी हर सुबह

      नयें युग, नयें साल, महिने

      और नयें दिन का होता है

      सबको आपकी मान्यता

      मुबारक ।

      मेरा अंक दिवस मुबारक 

     

      @ बलबीर राणा अडिग

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सारगर्भित।
नव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा ने कहा…

कर्म पथ पर
मेरी हर सुबह
नयें युग, नयें साल, महिने
और नयें दिन का होता है
सबको आपकी मान्यता
मुबारक ।
सर्वथा सत्य कहा आपने। मान्यताओं को एक आईना दिखाती बेहतरीन रचना। ।।।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहित बधाई। आदरणीय "अडिग" जी।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद आदरणीय गुरुदेव शास्त्री जी और आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी आपको भी नूतन वर्ष की मंगलकामनायें।

कविता रावत ने कहा…

खुशियों और सुखद जीवन राह हो तो हर दिन नया है
दिन, सप्ताह और फिर १२ माह का सफर ख़त्म तो नया साल शुरू,
फिर क्या तेरा क्या मेरा। कल तुम्हारा आज हमारा

बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति