शनिवार, 13 अगस्त 2022

राष्ट्र उमंगें वेगवान हुई

 

अरुणोदय हुआ चला,

प्राची उदयमान हुई।

माँ भारती के स्वागत को,

राष्ट्र उमंगें वेगवान हुई।।


श्रावणी मंगल बेला पर,

तिरंगा शान से फहरायें। 

आजादी के अमृत महोत्सव को

युगों के लिए अमर बनाएं।।


महापुरूषों के स्वेद से,

मकरन्द यह निकला है।

योद्धाओं के शोणित से, 

हमें लोकतंत्र मिला है।।


चित से उन महामानवों के,

बलिदान का गुणगान करें।

लोकतंत्र के महाग्रंथ का,

अन्तःकरण से सम्मान करें।।


पल्लवन इस वट वृक्ष का,

बुद्धि शक्ति तरकीब से हुआ।

तब इस सघन छाया में बैठना, 

हम सबको नसीब हुआ।


ज्ञान, भुजबल परिश्रम से,

शेष दोष-दीनता दूर करें।

रिक्त है अभी भी जो कोष 

चलो मिलकर भरपूर करें।


काम स्व हित संधान तक

यह लोकतंत्र का मान नहीं।

राष्ट्रहित निज कर्तव्यों को

आराम नहीं  विश्राम नहीं।


जग में माँ भारती की,

ऐसी ही ऊँची शान रहे।

अधरों पर तेरे भरत सुत,

जय भारत का गान रहे। 


रचना :- बलबीर राणा 'अडिग'

6 टिप्‍पणियां:

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-8-22} को राष्ट्र उमंगें वेगवान हुई"(चर्चा अंक 4521) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बेहतरीन रचना
शोणित
वृक्ष
नसीब
ये शब्द इस तरह से लिखें ।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

दिल से आभार आदरणीया

Nitish Tiwary ने कहा…

सुंदर कविता। जय हिन्द!

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।
जय भारत भारती।
वंदेमातरम्।

Bharti Das ने कहा…

बेहतरीन रचना