जून 2023 में उत्तरकाशी जिले के पुरोला में मुस्लिम युवकों द्वारा हिन्दू नाबालिग लड़की को बहला फुसला और शादी का झांसा देकर भगा ले जाने की घटना सामने आई। स्थानीय लोगों की जागरुकता और सर्तकता ने नाबालिग को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाकर युवकों को पुलिस के हवाला किया। ममला यहीं पर नहीं थमा, इस अपहरण बनाम लव जेहाद पर स्थानीय लोगों का गुस्सा सड़क पर फूटा, नाराज स्थानीय जनता गांव-गांव से ढोल और नगाड़ों के साथ अपने घरों से निकली और मोरी बैंड पर जाम लगाया। इसके साथ आंदोलित ग्रामीणों ने एसडीएम देवानंद शर्मा के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेज कर मुस्लिम समुदाय के अपराधी किस्म के व्यवसायियों को तत्काल इलाके से हटाने की मांग की। साथ ही पुरोला से मुस्लिम दुकानदारों को हटने का दबाव बनाया। नतीजन तीन दिन बाद 42 दुकानदार अपनी दुकानें छोड़कर भाग निकले। बसरते कुछ दिन बाद कुछ लोग वापिस अपनी दुकानों में आए और फिर यथावत अपना करोबार करने लगे।
अपेक्षानुकूल घटना पर देश के अन्य हिस्सों से क्रिया प्रतिक्रियाऐं सामने आई। पुरोला की जनता के कदम को जहाँ हिन्दू समुदाया ने सराहा और स्वागतीय बताया वहीं कट्टर पंथीयों को चीरी मची और प्रतिकात्मक विरोध में मुल्ले मौलानाओं ने अपने चिरपरिचित भड़काऊ अंदाज में मुस्लिम समुदाय को जितना भड़काना था भड़काया। कुछ राजनैतिक पार्टीयों और बामपंथियों ने घटना के मूल को इग्नोर करके अपने आचरण के अनुसार एक पक्ष का पक्ष लिया कि इनको सताया जा रहा है परेशान किया जा रहा है। पूरे प्रकरण में स्थानीय लोगों द्वार प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूर सहयोग किया और ऐसी कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई जिससे महोल ओर बिगड़े। मामला काफी दिन तक चला।
ये तो थी मामले की संक्षिप्त जानकारी। अब सवाल उठता है कि ऐसा आखिर क्यों और कब तक एक समुदाय को अपराध करने के बाद भी पीड़ित कहा जायेगा। गल्ती भी इन्हीं की और सहानुभूति भी इन्हीं से। क्यों भाई ? आज पूरे भारत में हो रहे अपराधों का ग्राफ देखा जाय तों सत्तर फीसदी छोटे से बड़े अपराध एक वर्ग विशेष से जुड़े मिलेंगे। लेकिन ऐसा लाजमी है कारण ! जब किसी व्यक्ति विशेष के कुकर्म एवं पतिता को उसका पंथ कानून नैतिक मानता हो फिर उसके लिए वह अपराध नहीं अराध्य का आदेश लगता। यह कैसे ? तो दिन मे पाँच बार की जमाज की शुरुवात में क्या दोहराया जाता है ? अल्लाह से कोई बड़ा नहीं है, जो अल्लाह को नहीं मानता वह काफिर है, अर्थात इस्लाम पंथियों के अलावा पूरा विश्व काफिर है और काफिर पर जैसा भी जितना भी जुल्म किया जाय सब जायज है काफिर को खत्म करना ही अल्लाह का हुक्म है। जिस बच्चे के दिमाग में बचपन से ऐसा भरा जाएगा वो कैसे मानवता मानेगा। क्रूरता की हद से भी उपर कोई क्रूरता है तो वो है इस्लाम पंथ। विश्व बन्धुत्व एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः उनके लिए गाली समान ही है।
जिनके पंथिक कानून में अपनी ही बेटी बहू माता बहन के लिए इतने अमानुशिक कुकृत्य, कानूनन जायज हों उनके लिए नारी तू नारायाणी एक अपशब्द है। अगर मैं और स्पष्ट कहूँ तो दुनियां में सबसे कामातुर पुरुष कोई है तो वह मुसलमान पुरुष है। अपनी काम वासना की पूर्ति के लिए जो अपनी बेटी समान बहू के साथ कुकृत्य कर उसे पवित्र करना मानता हो फिर उनकी पतिता पर कोई शब्द ही नहीं बनता। एक रोग हो तो बताएं, उपचार करें, पूरा शरीर ही रोगाणु है तो फिर उसे ताज्य करना ही हितकर होता है।
यहाँ पर पंथ का इस्तेमाल इस लिए किया जा रहा है कि दुनियां में धर्म एक ही है वो हो सनातन, बाकी सारे पंथ हैं जो एक व्यक्ति और एक व्यक्ति की किताब पर चलता है। सनातन कैसे धर्म है ? सनातन किस तरह विश्व बन्धुत्व एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः को प्रतिपादित करता है इस पर फिर कभी बातचीत करेंगे। आज तक हमारे सनातन को, आर्य भारत को किस प्रकार दूषित किया गया और सनातन को भातर से मिटाने का प्रयास हुआ साराशं में मेरी निम्न कविता से समझा जा सकता है।
सति प्रथा कुरीति थी मैं मानता हूँ
घूँघट प्रथा बूरी थी मैं समझता हूँ
छोड़ दिया हमने जो गलत था, और
छोड़ने की मज़बूरियों को भी पहचानता हूँ।
पर! हलाला कैसे सही था नहीं बतलाया
तीन तलाक क्यों ठीक था नहीं सुनाया
बुर्खा हिबाज सब जायज थे एक पंथ के
बहु विवाह कैसे तर्क संगत था नहीं समझाया।
कुछ नहीं था, गढ़ा गया था नरेटिव हमें भरमाने को
सनातन को भारत भूमी से सदा मिटाने को
कुछ कुछ सफल भी हुए हैं ये सनातन विरोधी
हमारी पीढ़ी को अपनी जड़ों से काटने को।
कुर्सीयों पर सनातन विरोधी भ्रमाज्ञी थे
अंदर से अंग्रेज बाहर से हिंदुस्तानी थे
कोई कॉन्वेंट के नाम, मन को हरते रहे
कुछ मदरसों में हिन्दू नाम का जहर भरते रहे।
इन्हीं के बीच थे कुछ तथाकथित उदारवादी
परोसा था गलत इतिहास बने थे खादीवादी
गंगा जमुनी तहजीव का झुनझुना पकड़ाकर
इस्लाम की गोदी बैठ, थे स्वजनित समाज़वादी।
आततायियों को ये आसमान से महान बनाते रहे
सड़क गली चौबारे इनके नाम के सजाते रहे
लूटा था जिन्होंने, या लूट रहे थे जो भारत को
उन नाराधमों का महिमामंडन करके पुजाते रहे।
पर! जड़ सत्य है सूरज जग से कभी हटेगा नहीं
स्थितिजन्य छंटेगा लेकिन मिटेगा नहीं
इसी तरह अपौरुषीय सनातन भी है मित्रो
धरा में जीवन, जीवन में धरा तक मिटेगा नहीं।
अडिग आह्वान है मित्रो वही देश गुलाम होता है
जिनको न राष्ट्र धर्म संस्कृति पर गुमान होता है
फिर गुलाम रहती उसकी साखें क्या जड़ें तक
और भविष्य उसका औरों की अपसंस्कृति ढोता है।
आसुरी शक्तियों को फिर न उठने देना होगा
सर्वदा सनातन भारत को आगे बढ़ाना होगा
विराज गए अब राम हमारे फिर अपने आसन पर
सर्वे भवन्तुः सुखिनाः भगवे को सदा लहराना होगा।
भारत में फैली अर पाँव पसार रही अपसंस्कृति की बुनियाद के उपरोक्त कारणों के अलावा और कई कारण हैं जिन्हे चाहते ना चाहते अपनाते हम आज सही मानने लगे हैं। लेकिन आज मुख्य मुद्दा हमारे सामने ये है कि ! ईसाईयत एवं इस्लाम की अपसंस्कृति से भ्रमित सनातन समाज को फिर से कैसे आदर्श जीवन मुल्यों की तरफ लाने हेतु काम किया जाए। आज अपसंस्कृति की ओर बढ़ती नईं पीढ़ी को वापस अपनी जड़ों से कैसे जोडें के प्रश्न मुँहबाये खड़े हैं। जिन प्रश्नों पर अमल करके हमें फिर से आर्यवंशी भारत की स्थापना करनी है। प्रश्न सज्ञानार्थ -:
👉किस प्रकार भारत फिर से अपने सांस्कृतिक वैभव में आ सके ?
👉किस प्रकार सामयिक तकनिकी एंव विकास के साथ कदम मिलाकर हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक नैतिक मुल्यों को बचा सकें।
👉किस प्रकार हम अपने सनातन मुल्यों का पालन करते हुए विश्व बन्धुत्व एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः मानवता के शूत्र को अमल मे लाकर भारत को फिर विश्वगुरु बना सके ?
👉किस प्रकार हमारी पीढ़ी लिव इन रिलेशनशिप, ऑपन सेक्स जैसी अपसंस्कृति से बाहर निकलकर भगवान राम और माता सीता के दामपत्य आदर्शों को समझे ?
👉दामपत्य अप्रीतम प्रेम की राह चलकर आदर्श एवं मर्यादित मानव समाज का निर्माता होता है को कैसे हम हर साल नएं पाटनर के साथ वेलेन्टाइन मनाने वालों को समझा सकें ?
👉कैसे हम विवाह के सालभर बाद कोट के गलियारों में तलाक की अर्जी पकड़े युवक युवतियों को समझा सकें कि दामपत्य कुछ साल नहीं पूरे जन्म और जमान्तर के प्रेम बन्धन में बंधने वाला आदर्श नैतिक नियम है।
👉कैसे हम पुरोला की जैसी नाबालिग बेटियों को बहकावे में आने से बचा सकते हैं।
👉कैसे हम देश की बेटियों के शरीर को टुकड़ों में कटने व फ्रीज और अटैचियों में पैक होने से बचा सकें।
👉मूल प्रश्न कि हम सनातनी कब भगवान श्रीकृष्ण के शस्त्र और शास्त्र के नियम को समझेंगे ? अठारह अध्याय की गीता के शूत्रों को कब जीवन में उतारेगें।
👉सट्ये साट्यम समाचरेत को कब अमल में लाएंगे।
नराधमों ने पूरी पीढ़ी को कायर बनाकर रख दिया। अरे भाई हमारा कोई देवता बिना शस्त्र के है क्या ? बिना शस्त्र के पृथवी से अकर्म नहीं मिटते। गंगा जमुनी तहजीब का कौन सा झुनझुना पकड़े बैठे हो ? तुम भाईचारे की लाठी पकड़ कर घर की खिड़कियों से झांकते रहो वो छत और खिड़कियों में पत्थर जमा करते रहेंगे। योगी मोदी सदैव नहीं रहेंगे हमें लाखों योगी मोदी तैयार करने हैं। मित्रों कायरता के जिस खोल के अन्दर आप आज खुद को सुरक्षित देख रहे हैं वही खोल कल आपके बंश और पीढ़ी के खात्में का हथियार होगा। ऐसा मैं नहीं कह रहा हूँ पृथवी पर मानव इतिहास बता रहा है।
ना लिखित ना ही श्रुति, सामने देखी बात है। इतिहास है। सज्ञानार्थ :-
👉किस प्रकार किस धारणा पर देश का बंटवारा किया गया।
👉किस प्रकार नशबंदी के जरिए हमारे बंशवृद्धावली को बन्धित किया गया।
👉किस प्रकार आरक्षण का लोलीपाप देकर आपके हाथों से आपका कारोबार छीन लिया गया।
👉कैसे फ्री देकर अकर्मण्यता को बढ़ाया जा रहा है, कर्म शक्ति को क्षीण किया जा रहा है।
👉किस तरिके से आज देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है।
👉आपके तो सारे रिश्ते खत्म हो गए और भाईजान पूरा गाँव बसा चुका है।
👉भगवान जिसको सिर देगा उसको सेर भी देगा लेकिन हम हैं कि दो से ज्यादा को पालने की हिम्मत ही नहीं रख पा रहे हैं क्योकि कानून ने बेड़ियां जो पहना दी।
👉किस प्रकार आधुनिकता के नाम पर अश्लीलता का व्यापार चल रहा है।
👉कैसे बोलीवुड के माध्यम से हमारे भगवानों हमारी संस्कृति पर प्रहार किया गया और लव जेहाद को पनपाया गया।
👉क्या कभी किसी अल्लाह किसी ईशु पर किसी फिल्म में अपश्ब्द या कटाक्ष करते देखा। नहीं क्योंकि फिल्म बनाने वाले को पता है सर कलम होगा।
कारण हजारों हैं साहब पर कारक एक भी नहीं इन्ही कारकों पर हमें सोचना होगा, कार्य योजना बनानी होगी और क्रियान्वयन करना होगा।
पुरोला हल्द्ववानी एक झांकी है
पूरी पिक्चर अभी बाकी है।
सनद रहे देश के अन्य राज्यों की तरह देवभूमि की डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है, शहर तो हमारे हाथ से लगभग निकल गए लेकिन पवित्र पहाड़ों को बचाना होगा, आज पहाड़ो में सब्जी, रेहड़ी, फैरी, नाई, फीटर, बढ़ई-बुचड, जैसे तमाम रोजमर्रा के कामों से लेकर इलेक्ट्रीशियन, वाहन टेक्निशियन, कमप्यूटर मोबाईल सॉफ्टवियर टेक्निशियन, निर्माण तकनिकी से जुड़े राज मिस्त्री, कारपेन्टर, प्लम्बर, आदी महतवपूर्ण कमों पर भाईजानों का पूर्ण अधिकार हो गया। हमारे क्या कर रहे हैं देखें -:
👉उनका मुँह देख रहे हैं।
👉तास खेल रहे हैं दारु पी रहे हैं। सोशियल मिडिया के भ्रामक दौर मैं अ सोशियल हो रहे हैं।
👉एक भाई या बाप की कमाई को पूर परिवार उड़ा रहा है।
👉नाम मात्र की डिग्री ग्रेजुऐशन करके आरक्षण की बाट जोह रहे हैं, बेरोजगारी पर धरना दे रहे हैं।
👉कुछ अकलवान शहरों या विदेश के होटलों में अपनी जवानी खपा रहे हैं
👉कुछ मेहनती शहरो की छोटी नौकरी में बड़ा औबर टाईम करके शहरों मे सैटल होने के सपने में अपनी दिन रात एक कर रहे हैं।
👉और बचे खुचे युवा राजनैतिक दलों की दलाली में अपनी कर्मशक्ति को क्षीण कर रहे हैं।
आज हर पहाड़ी नगर और कस्बों में बड़ी से बड़ी संख्या भाईजान श्रमिकों की है। भाईचारे में आपने उनको जमीन भी दे दी है उनके घर परिवार क्या कुनवा बस चुके हैं । मस्जिदें और मदरसे बनने लग गए हैं। तो पुरोला, हल्द्वानी से भी बढ़ी घटना तो होंगी ही उसमें कोई सक नहीं। उनको काम करने में कोई शरम नहीं हिचक नहीं। आज कर्मकार कर्म शक्ति वाले पहाड़ी अर्कमण्यता की ओर बढ़ रहे हैं ये चिंता का विषय है।
कोई अमल करें या ना करें अडिग तो अडिग बात ही कहेगा क्योकि साँच को आँच नहीं वाली बात है। हमें अपने ये तमाम छोटे बड़े काम खुद करने होंगे। लघु उद्योग जेहाद से उत्तराखण्ड को बचाना होगा। कुछ स्टेप जो हम निजी तौर पर आपसी साझीदारी से उठा सकते हैं जिसमें किसी सरकार की कोई भूमिका की जरुरत नहीं है। सज्ञानार्थ :-
👉 बेरोजगार युवाओं को जागरुक करना और यथासंभव उनकी मदद करना।
👉 कामगार युवाओं को अरिक्त प्रतोत्साहन देकर उसकी आर्थीकी बढ़ानी होगी, ताकि और युवा भी उस काम को करने के लिए प्रेरित हों।
👉 जिन पर सार्मथ्य है वे अपना छोटा मोटा करोबार सुरु करें और अपने लोगों को काम दें। चाहे वह एक नाई की ही दुकान ही क्यों ना हो। इसमें नौकरीसुदा व्यक्ति हो सकता है। सौ गज देहरादून के इनवेस्ट से आपके अपने बाजार का एक खोके का इनवेस्ट पहाड़ को बचायेगा।
👉 अपने लोगों से ही काम करवायें चाहे दो पैंसे ज्यादा लग जाए।
👉 किसी भी बाहरी आदमी और भाईजान को अपनी जमीन ना बेचें।
👉 किसी भी कट्टरपंथी को सर्पोट ना करें, सर्पोट नहीं होगा तो एक दिन उसकी आर्थीकी कमजोर होगी और उसे बोरिया बिस्तर समेटना ही होगा।
👉 बेटीयों और बहुओं को जागरुक करें जो किसी के जाल में ना फँस सके। पता चलने पर मेरा तो क्या वाले नजरिये से बाहर आकर विरोध करें।
👉 उन लोगों का प्रचुर विरोध करें जो ऐसे तत्वों को सह दे रहे हैं। पद पैंसे रुतवे से ना डरें, आपके एक साकारात्मक स्टेप से आपके लोग आपका साथ देंगे।
मित्रो करबद्ध निवेदन है कि ऐसा काम न करें या समर्थन ना करें जो आज बदलते और बढ़ते भारत की विकास यात्रा में वाधा डाले। सनातन धीरे धीरे अपने गंतव्य की ओर अग्रसर हो रहा है, एक हजार वर्ष से भी उपर के समय से क्षीण हुए सनातन को अपने मूल स्थान में आने में समय लगेगा। तरतीब और तरकीब से कदम उठाने होंगे ताकि भुजंगों का विष बेअसर हो सके।
जय भारत जय सनातन
आपका
बलबीर सिंह राणा अडिग
मटई बैरासकुण्ड चमोली।
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