बाप का रखा जीवनभर पूरा नहीं होगा,
मंजिल बिगैर सफर पूरा नहीं होगा।
कम नहीं किसी की अहमियत जीवन में,
लेकिन यकीनन माँ बिना घर पूरा नहीं होगा।
स्पंदन है सभी के दिलों में तभी तो जिन्दे हैं,
पर! संवेदनाओं बिना जिगर पूरा नहीं होगा।
अगड़म सगड़म कुचाड़ना जरा कम करो ढोल में ?
पथ्य बिना औषधि का असर पूरा नहीं होगा।
इस अंग्रेजी फंग्रेजी फूकने से नहीं छुपोगे,
उत्तराखंडी हैं तो बिना बल, ठेरा के अधर पूरा नहीं होगा।
पीठ में उठाने वालों को पीठ दिखाके अडिग।
सुख सुकून का मंसूबा मगर पूरा नहीं होगा।
8 मार्च 2024
©® बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
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