आज फर्ज के क्रंदन और इन्शानियत के दर्द के
लिए मर्ज है कहीं ?
शोर मानवता का सुनने वाला है कोई?
जन जन की जुबाँ की आवाज को
संभालने वाला है कोई ?
डूबती मानवता और कराहती मर्यादा के
मर्म को समझने वाला है कोई?
न्याय की गददी पर बैठे पीठासीनो
पाप के घड़े को फोड़ने में बिलम्ब क्यों?
पतितों को सजा देने में संशय क्यों ?
राम कृष्ण की धरती पर राक्षसों का संहार
करने में हिचक क्यों ?
क्या ?कलयुग योवन के खुमार में है ,
या सत्ता विलाशिता के उन्माद में हैं,
धर्म राज की गद्दी को निरुतर न करो,
शीघ्र अपने फर्ज का निर्वहन करो।
..........बलबीर राणा "भैजी "
23 देक 012
लिए मर्ज है कहीं ?
शोर मानवता का सुनने वाला है कोई?
जन जन की जुबाँ की आवाज को
संभालने वाला है कोई ?
डूबती मानवता और कराहती मर्यादा के
मर्म को समझने वाला है कोई?
न्याय की गददी पर बैठे पीठासीनो
पाप के घड़े को फोड़ने में बिलम्ब क्यों?
पतितों को सजा देने में संशय क्यों ?
राम कृष्ण की धरती पर राक्षसों का संहार
करने में हिचक क्यों ?
क्या ?कलयुग योवन के खुमार में है ,
या सत्ता विलाशिता के उन्माद में हैं,
धर्म राज की गद्दी को निरुतर न करो,
शीघ्र अपने फर्ज का निर्वहन करो।
..........बलबीर राणा "भैजी "
23 देक 012
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें