माटा का ल्यावाडा उठिगे
तिवारी की सतीर सड़ीगे
अपणा ह्वेकी भी दुर्गति सोणी डंडयाली
बिगैर मंखियों की खुदेड डंडयाली
छ्जों की रोणक
विकाश का बथों मा उडिगे
तिबारियों की चमक
पलायन की गाढ दगडी बगिगे
एक लखडा का धूंयेरू तें
तरसोणी डंडयाली
बिगैर मंखियों की खुदेड डंडयाली
खोला- चोक झाड़ जमिगे
बाड़ी सगोड़ी भंगुलू उगिगे
विकाश की खुशी मा
विनाश की लीला सोणी डंडयाली
बिगैर मंखियों की खुदेड डंडयाली
जो तुम भैर जेके कना
वो यख भी कैर सकदा
अपना हक हकूक की लडे लड़ सकदा
बढ़िया स्कूल बंगला ये थाती मा
भी बनै सकदा
यख भी चिफली सड़क ल्ये सकदा
इन सलाह देणी डंडयाली
बिगैर मंखियों की खुदेड डंडयाली
रचना : बलबीर राणा “भैजी”
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