सुनाई देती है
मुझे सुख की बांसुरी
हे कृष्ण तेरे बृन्दाबन में
मझदार में है नय्या मेरी
तारनहार पतवार रह तेरे गोकुल में
सुनाई देती है आनंद की झंकार
हे मधुसुदन तेरे आँगन में
कुपथ से पग मेरे खींचे आये
तेरे तपोबन में
सुनई देती हैं मुझे विजय की शंख ध्वनि
हे त्रिलोकी तेरे रथ में
पापों से भरे कर्म मेरे
पार पाने आये तेरे रण में
तू तारन हार है
तू पालन हार है
तू दया का सागर है
तू भक्त वत्सल है
इस भक्त की विनती सुन जरा
कुपथ से राह दिखा जरा
तेरी सेवा में जीवन निवार करूँ
दिन रात तेरे नाम का जाप करूँ
एक तू ही सहारा है
तेरे बिन अब न कोई मेरा है
एक बार अवतरित हो जा बिहारी
मुझे राह दिखा जा मुरारी
गीतकार - : बलबीर राणा “भैजी”
१६ अप्रेल २०१३
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