प्रीत डोर से बाँधने वाले मेरे
वो आंचलिक गीत कहाँ होंगे,
दिल के तार झंकृत करने वाले वो सुर कहाँ होंगे,
अब कन फोडू भोंडे वाद्ययों संग विह्वड़े शोर से उचट जा रहा मन,
एक थाप से थिरकाने वाले वो कलाकार कहाँ होंगे।
@ बलबीर राणा "अडिग"
वो आंचलिक गीत कहाँ होंगे,
दिल के तार झंकृत करने वाले वो सुर कहाँ होंगे,
अब कन फोडू भोंडे वाद्ययों संग विह्वड़े शोर से उचट जा रहा मन,
एक थाप से थिरकाने वाले वो कलाकार कहाँ होंगे।
@ बलबीर राणा "अडिग"
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