बिन तेरे सूना ये चमन
अधूरा जीवन अधूरा मन
आखरी पड़ाव तक साथ निभाना
अकेले सघन में छोड़ न जाना।
दो दिनी घरोंदे हैं ना जाने कब अतीती आ जाए
सप्त रंगों से सुसज्जित पंखो को काट जाए
तन्हा बस में भी नहीं यह सफरनामा
अकेले सघन में छोड़ न जाना।
नृत्य देखने को आतुर जग क्या जाने दर्द परिंदों का
इन पगों ने कितने कंटकी राहों में रियाज किया
लाख जतन से मिला सुमन चेहरा अब ना मुंह मोड़ जाना
अकेले सघन में छोड़ न जाना।
@ सर्वाधिकार सुरक्षित
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