बुधवार, 8 अप्रैल 2015

मुठ्ठी भर सुख


बस?  मुठ्ठी भर सुख
और ! बक्सा भर दुःख
उठा लाया , फिर क्यों बोझ ढोने को रोता है
धतूरा जो तु बोता है।

समेटा है संभाल
मुँह चुरा न भाग
अमानत तेरी, मुझे क्यों उठाने को कहता है
घडी- घडी प्रार्थना करता है।

रचना:- बलबीर राणा 'अडिग'

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