गुरुवार, 1 अगस्त 2019

ब्रह्मपुत्र का तीर


1.
वैशाख में सजता
ब्रह्मपुत्र का यह तीर
मेखला चादर में कसी बिहू नृत्यकाएं
थिरकती हैं ढोल की थाप पर
रंगमत हो जाती मौसमी गीत पर
प्रियतम का प्रणय निवेदन
नर्तकी का शरमाना बलखाना
ना-नुकर कर छिटक जाना
प्रियतम का कपौ फूल से
जूड़े को सजाना
बिहू बाला का मोहित होना
बह्मपुत्र की जलधारा का
लज्जित हो जाना
अमलतास के फूलों का
स्वागत में झड़ना
ढोल की थाप का सहम जाना
दोनो ओर की पहाड़ियों का
आलिंगन के लिए मचलना।

2.
सुहानी संध्या
दूर तक फैला ब्रह्मपुत्र का फैलाव
मांझी भूपेन दा के गीतों को
गुनगुनाते हुए पतवार चलता
देश से आये यायावरों को
सारंग ब्रह्मपुत्र का दिग दर्शन कराता
शहर की बिजलियों की झालर
जलधारा में टिमटिमाते दिखती
नाव आहिस्ता किनारे ओर सरकती।

3.
कहर बन जाता है सावन
डूब जाता बह्मपुत्र का रंगमत तीर
सहम जाता है जीवन
लील जाता है बांस की झोपड़ियों को
जिनमें सजती हैं बिहू बालाएं
मांझी की पतवार किनारे में भयभीत
ब्रह्मपुत्र के इस बिकराल का
जीवन ध्वस्त करना
जीवन का फिर संभल कर संवरना
तीरों को गुलजार होना
सदियों से सतत जारी।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

9 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…


जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ अगस्त २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद

Digvijay Agrawal ने कहा…

बेहतरीन...
कहर बन जाता है सावन
डूब जाता बह्मपुत्र का रंगमत तीर
सहम जाता है जीवन
लील जाता है बांस की झोपड़ियों को
जिनमें सजती हैं बिहू बालाएं
सादर..

मन की वीणा ने कहा…

बहुत प्रभावशाली तीनों रचनाएं, एक ब्रह्मपुत्र रूप तीन कभी मन भावन कभी हृदय विधायक।
सुंदर सृजन।

Meena Bhardwaj ने कहा…

ब्रहमपुत्र के तीनोँ रूप भी देखे हैं और मेखला चादर से सुसज्जित बिहू बालाएँ भी ...स्मृति से विस्मृत गलियारों की याद दिलाने के लिए हृदय से आभार । बहुत सुन्दर रचना ।

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बह्मपुत्र के ये रूप मन मोहित कर गए।...

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

हार्दिक आभार स्वेता जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

हार्दिक आभार मीना जी। आसाम है बिहू है, बिहू ही आसाम है। हर व्यक्ति अपने स्व को त्यागकर बिहू के लिए हो जाता है । संसकृति का ऐसा समर्पण और कहीं नहीं देखा मैंने आज तक।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

स्नेह वन्दन आदरणीया देवरानी जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

स्नेह वन्दन दिग्विजय जी आभार