शनिवार, 11 जनवरी 2020

ढपली वाले कौन हैं तुम


बोलो ढपली वाले कौन हैं तुम
आजाद देश में आजादी
मांगने वाले कौन हो तुम

किसकी तुम ढाल बने हो
किसकी तुम पाल बने हो
हो किसके कवच प्यारो
कौन है अन्दर बतावो यारो
किसके लिए हथियार बने हो
अरे किसके लिए बन रहे हो बम
बोलो ढपली वाले कौन हो तुम

ढूंढो पहचानो उस मदारी को
देश युवावों के जुवारी को
समझो समझाओ उस विचार को
कु बुद्धि विवेक विकार को
फिर टुकडे भारत का करने का
कौन भरा रहा कुकृत्य धम्भ
बोलो ढपली वाले कौन हो तुम

कुतर्क भवनाओं से लूट रहे हैं
किसी बाप के सपने टूट रहे हैं
कैसे जिम्मेवार बनेगा वो भारत का
जिस पर राष्ट्रद्रोही फफोले फूट रहे हैं
कैसी आजादी किसकी आजादी
किसका जाल किसका है भ्रम
बोलो ढपली वाले कौन हो तुम

सिपाही सीमा पर खप रहा है
किसान खेतों में तप रहा है
उद्यमी कर्मों में मगन मूल हैं
व्यापारी व्यापार में मगसूल है
मनुज मनुज धर्म निभा रहा हैं
हर जन कमा के खा रहा है
फ्री खाके उल्टी करने वाले कौन हो तुम
बोलो ढपली वाले कौन हो तुम

नहीं चलेगी तुम्हारी तान
नहीं बजेगा तुम्हारा गान
अखंड भारत है अखंड ही रहेगा
भारत माँ मुकुट यूँ ही सजेगा
नक्शल रहेगा जेहादी
गाते है जो भारत बर्बादी
मुठ्ठीभर कुचले जायेंगे नहीं है गम
बोलो ढपली वाले कौन हो तुम।

@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'


2 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…


जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चार्च आज सोमवार  (13-01-2020) को  "उड़ने लगीं पतंग"  (चर्चा अंक - 3579)  पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है 

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार रविन्द्र जी