बुधवार, 29 जनवरी 2020

पाँच मुक्तक : हालाते हाल


1.
अंदर से
इतना पका था कि !
बिना कुछ चुभाए
फोड़ा फूट गया।

2.
चलो ठीक हुआ
फूट गया
अब नासूर होने से
बचाया जा सकता है।

3.
जरूर बासी होगी
दही एक दिन में
इतनी खट्टी नहीं होती।

4.
पूर्वजों के कर्मो में
आने की छटपटाहट
वंशावली में दिख जाती
अकसर।

5.
अंधानुकरण से
दूषित उस शोणित का
शुद्धिकरण
विज्ञान और उच्च शिक्षा के
फिल्टर से भी
नहीं हो पाया।

@ बलबीर सिंह राणा 'अड़िग'

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