शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

वचन


उसके हिस्से की

खुशियों को भी सहेजना पड़ता है मुझे 

बॉर्डर पर 

कि जब कभी छुट्टी पर होऊँ 

तो हाथ बाँट लूँगा उसका 

रोटी-सब्जी

साग-भात

झाडू-पौछा

कपड़े छपोड़ना

बच्चों को तैयार करना

उगैरा उगैरा 

क्योंकि अकसर

उसके हर रोज  

एक ही काम की दिक

सुनाई देती है फोन पर।


मेरा भी एक ही जैसा काम है

दिन रात का 

बंदूक पकड़ ड्यूटी देना

जमीनी निशानों द्वारा चिन्हित 

काल्पनिक रेखा

के पार के लोगों पर नजर रखना

जो कोई उधर से रेखा लांघे

उस पर गोली चलाना 

पीटी करना

ताकि आगमी युद्ध के लिए फिट रहूँ

उगैरा उगैरा।


मुझे भी दिक होती होगी 

पर निकाल नहीं सकता

वचन बद्ध जो हूँ

वचन दिया है

बच्चों की माता को 

प्रेम करने का खुश रखने का

भारत माता को

दुश्मन के पग ना पड़ने देने का।


©® बलबीर राणा 'अडिग'

12 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Anita ने कहा…

वचन निभाना जो जानता है वही सच्चा सैनिक है

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत-बहुत सुन्दर रचना

Onkar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर

कविता रावत ने कहा…

वचन दिया है
बच्चों की माता को
प्रेम करने का खुश रखने का
भारत माता को
दुश्मन के पग ना पड़ने देने का।
... बहुत सुन्‍दर------

Onkar Singh 'Vivek' ने कहा…

ख़ूब, वाह

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार विवेक जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार बहन जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद सर

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद हरीश जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

जी महोदया

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

दिली आभार जोशी ज़ी