सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

योद्धा गाथा



प्रहरी हैं वे प्रखर प्रवीण, मानते नहीं कभी भी हार,
मर भूमि के सूरमाओं का, शूरत्व का नहीं पारावार, 
अनन्यहृत रहे देश मेरा, रहती सैनिक अभिलाषा है,
नाम नमक निशान पर मिटना, सैनिक की परिभाषा है।


असंभव को संभव करना, जिनकी फितरत में होता,
आदेश जिनके अराध्य हों, फिर कैसे कुछ असाध्य होता,
अगम दुर्गम सरजमीं पे जो, हर पहर निगहबानी करते हैं,
त्याग सर्मपण दृढ़ता से, हर लक्ष्य का भेदन करते हैं।


हो विषम विकट संताप हजार, हो गिरी श्रृंगों की शीत कटार,
हो छदम युद्ध की जटिलता, या हो तपता उखम मरु थार,
कँकाल क्लिफ रणभूमि में भी, अरि पर कहर बरपाते हैं, 
तिरंगा फहराने के संग-संग, तिरंगे में लिपटके भी आते हैं।


पौरुष ना उनका भय खाता, नहीं भयभीत पुरुषार्थ होता,
अरि अक्षि संधान पर भी, राष्ट्र रक्षार्थ प्राराब्ध ना छूटता,
गृहस्थ खेवनहार होते भी, समग्र साधना सन्यासी हैं,
हुतात्मा हैं मातरे वतन के, अटल अमिट अविनाशी हैं ।

विरह वेदना अपनों की, अधीर व्याकुल करती होगी,
संसारिक आमोद प्रमोद को, भावनाएं उमड़ती होगी,
पर गीता में हाथ रखकर, प्रण सौगंध जो लिया होता,
परिणीता प्रणय से पहले, प्रणय भारत माता से होता।

हर समय तत्पर रहते, दुश्मन का दर्प मिटाने को,
संकुचाते नहीं ये वर्दी वाले, बली वेदी चढ़ जाने को,
जय घोष जय भारत चिंघाड़ते, रिपु माथे चढ़ जाते हैं
जब भी मिले विराम समर में, वन्दे मातरम गाते हैं।



©® बलबीर राणा 'अडिग'












10 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

अत्यंत ओजपूर्ण शौर्य गाथा... सराहनीय अभिव्यक्ति सर।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

वाह।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

हरीश कुमार ने कहा…

अनन्यहृत रहे देश मेरा, रहती सैनिक अभिलाषा है,
नाम नमक निशान पर मिटना, सैनिक की परिभाषा है।
.
..
वाह वाह वाह बहुत सुंदर

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीया

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद जोशी जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार हरीश जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार शिवम जी

Meena Bhardwaj ने कहा…

कँकाल क्लिफ रणभूमि में भी, अरि पर कहर बरपाते हैं,
तिरंगा फहराने के संग-संग, तिरंगे में लिपटके भी आते हैं।
रक्षा प्रहरियों के दम पर ही देश की सीमाएँ और नागरिक सुरक्षित हैं ।नमन उनके हौंसलों के साथ व्यक्तित्व को ।ओजपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

हार्दिक आभार महोदया