मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

AI का बढ़ता प्रभाव : प्राकृतिक बुद्धिमत्ता अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता की गिरफ्त में





      कोई चीज किस हद तक ? आम तौर पर देखा गया है कि जीवन के हर पक्ष को एक हद में बाँध दिया जाता है, लेकिन जब कोई चीज हद लांघती है तो उसे या तो अद्भुत कहा जाता या अन्योचित। हद से उपर की चीजें विशिष्ट भी होती हैं तो विनिष्ट भी। परिवर्तन इस चराचार जगत की प्रवृति है जो मानव समाज व सभ्यताओं के साथ उनके जीवन स्तर को परिवर्तित करता आया है। परिवर्तन वेगवान व कभी ना रुकने वाली वह धारा है जिसमें बहने से तत्कालिक मानव सभ्यता खुद को नहीं बचा सकती है।

      आज वैज्ञानिक तकनीकी ने इस युग के परिवर्तन को तेज नहीं अत्यधिक तेज गति दी है, इस सुपर सौनिक रफ़्तार ने धरती के साथ पूरे सौरमण्डल को अपनी गिरफ्त में कर लिया कहना गलत नहीं होगा। जीवन के हर क्षेत्र के कार्य सुलभ से भी अति सुलभ होते जा रहे हैं और यह सुलभता की गति कहाँ रुकेगी कह नहीं सकते, तकनीकी आविष्कार नित नएं आयाम व प्रतिमानो को प्रतिस्थापित कर रहा है। पुनारावृति नहीं नित नवाचार, इस नवाचार में कम्प्यूटर साइन्स ने जो एक अति लम्बी छलांग लगायी है वह वास्तव में हद के बाहर की बात है, इसे कम्प्यूटर साइन्स का अभी तक का सबसे उन्नत व अद्भुत आविष्कार कहा जा सकता है और यह उन्नति है एआई, याने आर्टीफिशियल इन्टेलीजेन्स, जो जीवन के सारे मिथकों को तोड़ता नजर आ रहा है। कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि प्राकृतिक मानव बुद्धिमत्ता अब पूरी तरह से इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता की गिरफ्त में आती नजर आ रही है । 

      वसरते आज एआई से परिचय नयां नहीं हैं फिर भी संक्षिप्त रूप से परिचय इस प्रकार है कि एआई यानि आर्टीफिशियल इन्टेलीजेन्स के जरिए मशीनों को मानव जैसे सोचने, समझने एवं निर्णय लेने में क्षमतावान बनाया जाता है। यह मशीनों को डेटा विश्लेषण करने, समस्याओं को हल करने, और सीखने में सक्षम बनाता है। इसका उद्देश्य ऐसे सिस्टम को विकसित करना है जो स्वचालित और स्मार्ट तरीके से कार्य कर सके । अर्थात एआई कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है जिसके तहत इंसानों की तरह सोचने, समझने, निर्णय लेने व कार्य करने के लिए सिस्टम यानि मशीनें को तैयार किया जाता है। आज एआई से न केवल जीवन आसान बन रहा है बल्कि समाज, व्यवसाय, और तकनीकी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है। एआई तकनीकी का काम करने के मूल सिद्धांत निम्नवत है:-

पहला -  डेटा संग्रहण और प्रसंस्करण (Data Collection and Processing) - सिस्टम को काम करने के लिए बहुत सारा डेटा चाहिए होता है। यह डेटा विभिन्न स्रोतों से लिया जाता है, जैसे कि सेंसर, इंटरनेट, डाटाबेस, या यूजर इंटरैक्शन। इसमें डेटा को साफ, संरचित और उपयोगी रूप में व्यवस्थित किया जाता है फिर इसे प्रोसेस करने के लिए एआई मॉडल तैयार किए जाता है।

दूसरा - मशीन लर्निंग (Machine Learning) - एआई सिस्टम का मुख्य भाग मशीन लर्निंग है, जिसमें एल्गोरिदम और मॉडल्स को ट्रेन किया जाता है जिसमें सुपरवाइज्ड लर्निंग, अनसुपरवाइज्ड लर्निंग और रीइन्फोर्समेंट लर्निंग शामिल होता है।

तीसरा - डीप लर्निंग (Deep Learning) - यह मशीन लर्निंग की ही उन्नत शाखा है, जो न्यूरल नेटवर्क (Neural Network) का उपयोग करती है। न्यूरल नेटवर्क इंसानी मस्तिष्क के न्यूरॉन्स की तरह काम करता है। यह जटिल डेटा को समझने और पैटर्न पहचानने में सक्षम है, जैसे इमेज, आवाज व टेक्स्ट इत्यादी।

चौथा - एल्गोरिदम (Algorithms) - एल्गोरिथम यानि किसी समस्या को हल करने या गणना करने के लिए निर्देशों का वह समूह जो एक खास प्रक्रिया के ज़रिए किसी कार्य को करने या समस्या को हल करने के लिए चरण-दर-चरण डिजाइन किया जाता है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर विज्ञान, गणित, और डेटा प्रोसेसिंग में किया जाता है जैसे निर्णय लेने के लिए Decision Trees व के-मीन्स (K-Means) अर्थात यह डाटा को विभिन्न समूहों में विभाजित कर सुव्यवस्थित करता है।

पाँचवा - भाषा और संवाद NLP  (Natural Language Processing) - नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग याने प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण की मदद से एआई मानव भाषाओं को समझकर उपयोग कर सकता है। NLP कंप्यूटर विज्ञान व कृत्रिम बुद्धिमत्ता का वह क्षेत्र है जो प्राकृतिक भाषा व कंप्यूटर के बीच बातचीत का संबंध स्थापित करता है।

छटवां - कंप्यूटर विजन (Computer Vision) -  एआई छवियों एवं वीडियो का विश्लेषण करके उन्हें पहचान सकता है। इसका उपयोग चेहरे को पहचानने, ऑब्जेक्ट डिटेक्शन आदि में होता है।

सातवां - डिसीजन मेकिंग और ऑटोमेशन (Decision Making and Automation) - एआई सिस्टम संग्रहीत डेटा और प्रोग्रामिंग के आधार पर त्वरित और सही निर्णय लेता है। जैसे सेल्फ-ड्राइविंग कार, रोबोटिक्स इत्यादी।

आठवां - मॉड्यूल फीडबैक (Feedback Loops) - एआई सिस्टम अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए फीडबैक का उपयोग करता है। यह नई जानकारी से खुद को अपडेट और बेहतर बनाता है। जैसे हेल्थकेयर (डायग्नोसिस और इलाज), ई-कॉमर्स व अन्य संस्थाओं के लिए सिफारिश प्रणाली, एग्रीकल्चर में सही एवं सटीक खेती करना, फाइनेंस क्षेत्र में जोखिमो का प्रबंधन, शिक्षा में व्यक्तिगत लर्निंग इत्यादी।

      जैसे-जैसे अधिक से अधिक व बुद्धिमान प्रणालियाँ निर्मित होती जा रही हैं, विचार करने के लिए एक स्वाभाविक प्रश्न उठ रहा है कि ऐसी प्रणालियाँ एक-दूसरे के साथ कैसे समन्वय स्थापित करेंगी। मल्टी-एजेंट सिस्टम ने इस पर प्रभावी काम किया है जिससे ऑनलाइन मार्केटप्लेस, परिवहन प्रणालियों व अन्य क्षेत्रों में तेजी से परिवर्तन आया है। अपने शुरुआती दिनों से ही एआई ने उन प्रणालियों के डिजाइन और निर्माण का काम संभाला जो वास्तविक दुनिया में सन्निहित थे। आज रोबोटिक्स का क्षेत्र संवेदना व अभिनय की मूल बातों को अजाम दे रहा है, यह प्रभावी ढंग से व्यवहार करने में सक्षम बन गया है, रोबोट न्यूज एंकर, वेटर या कर्मचारियों से सभी परिचित हैं। कहना गलत नहीं होगा कि आज रोबोट मनुष्यों का अब्बल व अच्छा साझेदार बनता जा रहा है।

एआई का विकास और इतिहास - जॉन मैकार्थी को आर्टीफिशियल इन्टेलीजेन्स का जनक माना जाता है जो कि  अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक थे, इनके साथ एलन ट्यूरिन, मार्विन मिनस्की, एलन न्यूवेल एवं हरेन ए साइमन एआई के पहले संस्थापकों में से थे। ज्यादा गहराई में ना जाते हुए संक्षेप में कि एआई का प्रारंभिक दौर 1950 से 1970 था जिसमें एलन ट्यूरिंग ने ‘ट्यूरिंग टेस्ट’ के माध्यम से यह जांचने का सुझाव दिया कि मशीनें इंसानों की तरह सोच सकती हैं या नहीं। पहली एआई प्रोग्रामिंग भाषा हौंठो के रूप में विकसित हुई। 1970 से 199 के समय को एआई का मध्यकाल कहा जाता है जिसमें एआई हेतु विशेषज्ञ प्रणाली (Expert Systems) का विकास हुआ, जो विशेष कार्यों में इंसानों से भी बेहतर निर्णय ले सकती थी। तब से एआई को व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाने के प्रयास शुरू हुए। 1990 से वर्तमान तक के समय को आधुनिक काल कहा जाता है जिसमें मशीन लर्निंग, बिग डेटा और डीप लर्निंग ने एआई को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाया। स्वचालित वाहन, वर्चुअल असिस्टेंट, एलेक्सा, सिरी, और चौटबॉट्स जैसे उन्न्त तकनीकियों का विकास हुआ।

      एआई के वर्गीकरण की बात की जाय तो इसमें पहला नैरो एआई (Narrow AI) जो विशेष कार्य या समस्या का हल करने के लिए डज़ाइन किया गया है जिसमें वॉयस असिस्टेंट, सर्च इंजन, यूट्यूब या नेटफ्लिक्स जैसे पोर्टलों के लिए सिफारिस प्रणाली शामिल है। दूसरा जनरल एआई इसे इंसानों की तरह सोचने व निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाया गया है और तीसरा सुपर एआई जिसमें ऐसी मशीनों का निर्माण शामिल है जो इंसानी बुद्धिमत्ता को पीछे छोड़ दे पर यह अभी भविष्य की कल्पना है। इन्हीं वर्गीकरण के आधार पर एआई सिस्टमस की कार्यप्रणलियों को रीएक्टिव मशीन, लिमिटड मेमोरी, थ्योरी ऑफ माइन्ड, एवं सेल्फ अवेयरनेस के रूप में जाना जाता है। 

      एआई के उपयोग व प्रभाव की बात की जाया तो जीवन के तमाम क्षेत्रों में एआई की कुशलता व कौशलता का प्रभाव होता जा रहा है हाँ न्याय एवं संसदीय जैसी कुछ प्रणालियां हैं जहाँ व्यक्ति को ही निर्णय लेना या देना होता है, ये अभी अछूते रखें हैं जिस दिन इन व्यक्तियों की जगह एआई सुरु हो गया तो तब यही मशीनें मानव जीवन का नीति नियंता बन बैठेंगी फिर ना किसी जज की जरूरत होगी ना नेता की। आज एआई के बढ़ते प्रभाव को मानव जीवन के लिए वरदान व अभीशाप दोनों रूप में बराबर देखा जा रहा है। यह मनुष्यों की क्षमताओं को बढ़ाने मे अतिशय मदद कर रहा है, जिसमें सही गलत दोनो क्षमताएं शामिल हैं। आज इसे जिम्मेदारी, न्याय एवं नैतिकता से उपयोग करने की बहुत आवश्यकता है, सही दिशा में इसका उपयोग जहाँ उज्जवल व समृद्ध भविष्य की ओर इंगित करता है वहीं गलत दिशा में अकल्पनीय विद्रूपता की तरफ मानव जीवन का जाना तय मना जा रहा है।

एआई का जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सदुपयोग व प्रभाव

शिक्षा - एआई ने शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत सीखने के अनुभव को बढ़ाया जिसमें डिजिटल ट्यूटर, ऑनलाइन कोर्स एवं स्मार्ट कंटेंट की मदद से छात्र अपनी गति और आवश्यकता के अनुसार पढ़ाई कर रहे हैं। एआई आधारित शिक्षा प्लेटफॉर्म जैसे कान अकादमी, बायजूस इत्यादी छात्रों को उनकी गति और रुचि के अनुसार पढ़ने की सुविधा दे रहे हैं और आंकलन कर रहे है।

स्वास्थ्य सेवा - स्वास्थ्य सेवाओं में एआई ने बिमारियों के निदान को और सटीक व तेज बनाया है। रोबोटिक सर्जरी, रोगों की पूर्व चेतावनी एवं व्यक्तिगत चिकित्सा जैसे क्षेत्र एआई से और अधिक कुशल हुए हैं। साथ में फिटनेस ट्रैकर्स व स्वास्थ्य एप्लिकेशन जो हार्ट रेट और अन्य मेट्रिक्स को मॉनिटर करते हैं प्रभावी होते जा रहे हैं। इसके साथ वर्चुअल डॉक्टर चैटबॉट्स (वॉयस इनपुट व टेक्स्ट में बातचीत करने का माध्यम) एआई हेल्थ ऐप्स छोटी-छोटी स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में कारगर हो रहे हैं।

व्यवसाय व रोजगार - एआई ने व्यवसायों को अधिक उत्पादक और कुशल बनाया है। ग्राहक सेवा में चैटबॉट्स, डेटा एनालिसिस और ऑटोमेशन ने नए अवसर पैदा किए हैं।

रचनात्मकता एवं मनोरंजन - मनोरंजन उद्योग में एआई ने सिफारिश प्रणाली (Recommendation) को अत्यधिक बल दिया है साथ ही कंटेंट निर्माण, वर्चुअल इफेक्ट्स और एनीमेशन को बेहतर बनाया है। एआई से मीडिया, गेमिंग, फिल्म, संगीत एवं वीडियो गेम्स अधिक इंटरैक्टिव व आकर्षक बन रहे है। चैट जीपीटी जैसे प्लेटफॉम कंटेंट लेखन व अन्य रचनात्मक कामों में मदद कर रहा है।

यातायात व परिवहन - स्वचालित वाहन जैसे सेल्फ-ड्राइविंग कारों ने सुरक्षित व कुशल यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया है। एआई आधारित नेविगेशन एप्लिकेशन गूगल मैप जैसे प्लेटफार्म ट्रैफिक की सही जानकारी के साथ सही व तेज़ रास्ता सुझाते हैं। एआई सिस्टम के उपयोग से सार्वजनिक परिवहन जैसे ट्रेन, बसों और हवाई जहाजों का संचालन अधिक कुशलता से व समय पर हो रहा है।

घरेलू जीवन में सुधार - वर्चुअल असिस्टेंट में अमेज़न एलेक्सा, गूगल असिस्टेंट एवं सिरी घर में छोटे-बड़े कार्यों में मदद कर रहे हैं, जैसे अलार्म सेट करना, रिमाइंडर देना या मौसम की जानकारी देना इत्यादी। स्मार्ट उपकरण में रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर, स्मार्ट लाइट्स, और थर्मास्टैट्स तकनीकियां घरेलू कामों को सरल बना रहा है।

अनुसंधान और विज्ञान में मदद - स्पेस रिसर्च में एआई का उपयोग अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनाने एवं डेटा विश्लेषण करने में हो रहा है। यह प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान, भूकंप, तूफान और बाढ़ जैसी आपदाओं की भविष्यवाणी करने में कारगर हो रहा है।

डिफेंस सेक्टर - डिफेंस सेक्टर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है यह आधुनिक युद्ध व सुरक्षा रणनीतियों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। एआई का इस्तेमाल न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि साइबर सुरक्षा, खुफिया जानकारी, और स्वचालित हथियार प्रणालियों के विकास में अग्रणीय हो रहा है।

      कहना प्रसांगिक होगा कि आज मानव जीवन को सुविधाजनक, सुरक्षित और उत्पादक बनाने में एआई महति भूमिका निभा रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दुरुपयोग व प्रभाव

      जिस प्रकार उपरोक्त कहा गया है कि एआई का सही दिशा में उपयोग जहाँ उज्जवल व समृद्ध भविष्य की राह प्रसस्त कर रहा है वहीं गलत दिशा में उपयोग से जीवन का अकल्पनीय विद्रुरपता की और जाना तय है। आज जहाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने तकनीकी प्रगति के नए द्वार खोले हैं वहीं इसका दुरुपयोग समाज, सुरक्षा और नैतिकता के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर रहा है। एआई के दुरुपयोग से निजी जानकारी की चोरी, सामाजिक असमानता व र्राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे जटिल मुद्दों को भी खतरा पैदा हो रहा है। इसके दुरुपयोग को निम्न रूपों में देखा सकता है। 

फर्जी जानकारी और दुष्प्रचार फैलाना - एआई आधारित टूल्स का उपयोग फेक न्यूज़ और डीपफेक वीडियो बनाने के लिए किया जा रहा है, जो तेजी से वायरल होते हैं जिससे कारण समाज में डर अराजकता आदि फैल रहा है। एआई से नकली खबरें, प्रचार, और झूठी जानकारी फैलाना आसान हो गया है। यह समाज में भ्रम और अस्थिरता पैदा कर रहा है। आज यह तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि लोगों को सच और झूठ के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है।

सामाजिक और राजनीतिक दुष्प्रचार ¼Propaganda½ - चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है। फर्जी राजनीतिक प्रचार और अभियानों के लिए एआई आधारित कंटेंट का उपयोग टार्गेटिंग के साथ भावनात्मक अपील के लिए नकली विज्ञापन बन रहे हैं। उदाहरण के लिए कुछ दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह के अंबेडकर बयान पर आम आदमी पाटीं ने अंबेडकर द्वारा अमित शाह को थप्पड़ मारना दिखाया। ऐसे ही कई प्लेटफॉर्म धार्मिक या राजनीतिक कट्टरता वाले कंटेंट को बना रहे हैं क्योंकि एआई जनित कंटेंट का आकर्षक होने से अधिक व्यूअरशिप मिलती है।

सोशल मीडिया बॉट्स और ट्रोलिंग - एआई बॉट्स सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर गलत सूचनाएं फैलाने में मदद करते हैं। ये बॉट्स राजनीतिक या सामाजिक मुद्दों पर नकारात्मक बहस और विभाजन उत्पन्न करते हैं। किसी खास नैरेटिव को बढ़ावा देने के लिए झूठे डेटा या जानकारी को वायरल किया जाता है। साथ ही विडियो एडिट सॉफ्टवेयर एवं सोशियल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उन्नत एआईकृत वीडियो एडिटर से आकर्षक वीडियो बन रहे हैं जिससे रील्स नशेड़ियों ने नंगेपन व बेवड़ेपन से सोशियल मीडिया पर भसड़ मचाई हुई है जिसके चलते आम कुलीन वर्ग के बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं, जो कि एक सभ्य मनुष्य व समाज की उन्नति नहीं अवनति का कारक बनता जा रहा है  

डीपफेक तकनीक - इस तकनीकी से नकली वीडियो और ऑडियो बनाए जा रहे हैं, जो वास्तविक व्यक्ति की तरह दिखते हैं। इसका दुरुपयोग राजनेताओं, विशेष हस्तियों व आम लोगों को बदनाम करने या धोखा देने के लिए किया जा रहा है।

साइबर अपराधों में वृद्धि - एआई का उपयोग फिशिंग ईमेल व मैलवेयर को अधिक कुशल बनाने के लिए किया जा रहा है। हैकिंग के लिए किसी सिस्टम्स को ब्रेक करना आसान हो गया है जिसमें सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं का काम बाधित होना या नष्ट किया जाना शामिल है।  

गोपनियता व निजता का हनन - एआई आधारित निगरानी प्रणालियां लोगों की गतिविधियों पर नज़र रखती हैं, जिससे उनकी निजता को खतरा हो रहा है। बड़ी कंपनियां द्वारा एआई का इस्तेमाल करके उपयोगकर्ताओं का डेटा अनैतिक रूप से इकट्ठा करके बेचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

आतंकी गतिविधियों में उपयोग - एआई जनित ड्रोन व अन्य स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल आतंकी समूहों द्वारा किया जा रहा है, इससे आतंकी समूहों को अधिक शक्तिशाली उपकरण मिल रहे हैं।

नकली सामग्री बनाने में - एआई का दुरुपयोग साहित्य, संगीत, और कला के क्षेत्र में नकली रचनाएं बनाने के लिए किया जा रहा है, जिससे असली रचनात्मकता व कला का हनन हो रहा है।

बेरोजगारी व नौकरियों पर प्रभाव - एआई आधारित ऑटोमेशन से श्रमिक नौकरी से वंचित हो रहे हैं जिससे आर्थिक असमानता बढ़ने की संभावना है।

युद्ध - स्वचालित हथियार और रोबोटिक सिस्टम्स एआई द्वारा संचालित होकर युद्ध के नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं। यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।

नकली समीक्षाएं और रेटिंग्स (Fake Reviews and Ratings)- ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से उत्पादों की नकली सकारात्मक समीक्षाओं से उपभोक्ताओं को लुभाने का काम हो रहा है।

      अगर संक्षिप्त में एआई प्रभाव की बात की जाए तो एआई जहाँ मानव जीवन के लिए वरदान साबित हो रहा है वहीं इसका अभिशाप होना उतना ही प्रासांगिक है। इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए न्याय सम्मत नियमों व कानूनों की सख्त आवश्यकता है। ताकि विकास की परिपाटी को विनाशीय बनने से रोका जा सके।

      अब सवाल ये भी उठता है कि हमारे देश का आम जन मानस इसकी उपयोगिता को कैसे समझे ? तो यहाँ पर कहना प्रसांगिक होगा कि मैं नहीं जानता, मुझे नहीं पता या मेरा तो क्या वाले नजरिये से स्वयं, समाज व राष्ट्र हित नहीं होने वाला। नहीं जानने या समझने वाली मानसिकता से समाज में एक बड़ी खाई पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। नही तो फायदा लेने वाला सही गलत सब फायदा लेगा वा मूक बना मनुष्य या वर्ग प्रताड़ित होता रहेगा। परिवर्तन का सिद्धान्त ही खुद को अपडेट करना कहता है। दूसरी बिडम्बना ये भी है कि आज हमारे देश में ये सभी आधुनिक तकनीकियां औपनिवेशिक भाषा यानी अंग्रेजी में ही ज्यादा सुलभ हैं तो आम जन को अपनी मातृ व राष्ट्रभाषा के साथ अंग्रेजी को अच्छी तरह जानना, समझना व सीखना होगा। हाँ इसी एआई का प्रभाव है कि गूगल ट्रांसलेट जैसे प्लेटफॉर्मों की वजह से सब जानकारियां हिन्दी व राष्ट्रीयकृत भाषाओं में भी उपलब्ध हो चुकी हैं बस व्यक्ति को जिज्ञासु रहने व होने की जरूरत है। अंत में यही कहना चाहूँगा कि परिवर्तन के साथ चलते हुए ही राष्ट्रहित सर्वोपरि रखा जा सकता है नही तो अपरिवर्तित रहने से निज भविष्य में खुद की पहचान व वर्चस्व रखना संभव नहीं है।             

  ©® सर्वाधिकार सुरक्षित
@ बलबीर राणा अडिग 

 

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