शुक्रवार, 21 मार्च 2025

अडिग दोहावली : मातृभूमि वैरासकुण्ड भूमि



पंचजूनी पर्वत तले, बसा रमणीय गांव।।
मटई ग्वाड़ छाती है, मोलागाड़ा पाँव।।1।। 

दोणा भुम्याळ रक्षक है, माँ भगवती कृपाण।। 
हितमोली हीत देवा, सैणि सार है प्राण ।।2।।

दायीं भुजा महादेव, शिव शंकर भगवान
दिव्या धाम वैरासकुण्ड, जगत विख्यात नाम ।।3।।

तपोस्थली है दशानन, ऋषि वशिष्ठेस्वर नाम।।
जगत का सबसे वृहद, हवन कुण्ड विद्यमान।।4।।

इस देवांगन आंगन में, सुन्दर शोभित ग्राम।।
खलतरा मोठा चाका, वैरूं सेमा आम ।।5।। 

जन्में इस दिव्य भूमि ने, पूत सपूत तमाम ।।
तेरे लिए नहीं अडिग, कहीं पवित्र जग जान ।।6।।

जन्म थाती त्वै सत-सत प्रणाम

@ बलबीर राणा 'अडिग'

सुनो नेताजी

नेता जी गर प्रेम बरसाए हो तो, 

फिर काहे को गरबगलाए हो ।
जिन पहाड़ियों ने ताज़ पहनाया,
उन्हीं को क्यों गरियाए हो !

क्या बोले थे ये धरती किसकी ?
तुम साले पहाड़ियों की बिसात है?
तो सुनो नेता जी कान खोलकर!
ये हमारी बबोती, नहीं तुम्हें सौगात है।

सेवक हूँ हाथ जोड़ चुनाव लड़े हो, 
पहाड़ की मिट्टी पर करोड़ों में खड़े हो।
पहाड़ी की बिल्ली पहाड़ को ही म्याऊँ, 
सत्ता के नशे में जो तुम इतना तड़े हो?
सच्ची के पहाड़ी हो तो सुनो दगड़यौ,
गंगा यमुना के हो तो बिंगों दगड़यौ।

इन गालीबाजों को अब सबक सिखाना है,
बणियां-सणियों को अब नहीं बसाना है। 

भूमी हमारी भुमियाळ हमारा,
फिर क्यों नहीं भू क़ानून हमारा?
मूल निवासी हो जाएंगे प्रवासी,
गैर क्यों बनेगा मालिक हमारा?


@ बलबीर राणा 'अडिग'

5 मार्च 25

प्रेमचंद्र अग्रवाल मंत्री उत्तराखंड के पहाड़ियों को गाली देने पर