पंचजूनी पर्वत तले, बसा रमणीय गांव।।
मटई ग्वाड़ छाती है, मोलागाड़ा पाँव।।1।।
मटई ग्वाड़ छाती है, मोलागाड़ा पाँव।।1।।
दोणा भुम्याळ रक्षक है, माँ भगवती कृपाण।।
हितमोली हीत देवा, सैणि सार है प्राण ।।2।।
दायीं भुजा महादेव, शिव शंकर भगवान
दिव्या धाम वैरासकुण्ड, जगत विख्यात नाम ।।3।।
तपोस्थली है दशानन, ऋषि वशिष्ठेस्वर नाम।।
जगत का सबसे वृहद, हवन कुण्ड विद्यमान।।4।।
इस देवांगन आंगन में, सुन्दर शोभित ग्राम।।
खलतरा मोठा चाका, वैरूं सेमा आम ।।5।।
जन्में इस दिव्य भूमि ने, पूत सपूत तमाम ।।
तेरे लिए नहीं अडिग, कहीं पवित्र जग जान ।।6।।
जन्म थाती त्वै सत-सत प्रणाम
@ बलबीर राणा 'अडिग'
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