शुक्रवार, 13 जून 2025

सब कुछ ठीक था तो कैसे कुछ भी ठीक नहीं हुआ?



जाते समय तिलक करते हुए पिताजी कहता है ठीक से जाना बेटा पहुँचते ही फोन कर देना, वहीं विदा लेते समय बीबी कहती ठीक से जाना, और हाथ हिलाते हुए बच्चे भी कहते पापा ठीक से जाना, हैप्पी जर्नी। विदा देने वाले ठीक से जाना कहते तो स्वागत करने वाले भी ठीक से आना कहते हैं। शुभयात्रा दोनों तरफ का कॉमन विसिंग शब्द होता है। यात्रा करने वाले यात्री इन सब ठीकों को ठीक से समझते हैं और ठीक से अनुपालन भी करते हैं जो ठीक हमारे काबू में होता है। लेकिन परबस, परकाबू की ठीक को कैसे ठीक किया जाय यह सदैव का यक्ष प्रश्न बना होता है, और हमारे पास विश्वास करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। पता चला कि गाड़ी के ड्राइवर ने शराब पी रखी है तो उस गाड़ी को छोड़ देंगे लेकिन ड्राइवर को झपकी आ गई या गाड़ी में तकनिकी खराबी हो गई इसकी जिम्मेवार किसकी? 

    रेलवे या विमानन कर्मचारियों की गल्ती का कौन जिम्मेवार? विमान सब तरह से ठीक होने के वाबजूद भी चंद मिनट में कैसे चकानाचूर हो जाता है, और कई जिंदगियां आकरण कालकवलित हो जाती हैं, इसे ठीक करने की ठीक जिम्मेवारी किसकी है ? इस अठीक को कौन ठीक करेगा?  जांच पड़ताल होती है कारण पता चलता है, एक्शन प्लान बनता है, पहले पहले-पहल खूब एक्शन होता है, फिर धीरे धीरे तरंग का बल धीमा हो जाता है और लापरवाही से हादसा ही नहीं आपदा आन पड़ती है, आम आदमी प्रभु इच्छा, होनी होगी मान दिल को तसल्ली देता है, तसल्ली करने के अलावा कुछ चारा भी तो नहीं बचता! सरकार मुवाबजे से पीड़ितों का मुँह बंद कर देती है, कभी कभी गुनहगार बच निकलता है, और यह चलन तब तक चलता रहता है जब तक अगली घटना नहीं होती। घटना के बाद जागना, जागकर सोना और फिर घटना पर जागना, यही तो चलता है! 

ऐसा नहीं कि जो जिम्मेवार लोग हैं वे हादसों के भुक्त भोगी नहीं होते, होते सब हैं लेकिन बिडंबना ये है कि चेतता कोई नहीं। फिर हादसों का शिकार हुए बेखबर लोग खबरों के बन जाते हैं, दुःख, श्रद्धांजलि व संवेदनाओं के मलहम से घावों को भरने का उपक्रम चलता है। सब कुछ ठीक होने पर भी कैसे  कुछ भी ठीक नहीं हुआ? इस तरह की अकाल मृत्यु का हरण हो सकता है बसरते ठीक के लिए जिम्मेवार लोग ठीक को ठीक से समझ जाएँ और ठीक को ठीक से अमल में लाऐं। नहीं तो इसी तरह सपनों के टूटने के साथ टूटते शब्दों की चित्तकार राष्ट्र को त्रासद करती रहेगी।


12 जून 25 अहमदाबाद विमान हादसे में कालकवलित आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏🙏


@ बलबीर राणा अडिग

4 टिप्‍पणियां:

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा आपने...
बहुत चिंतनपरक ।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

सुधा ज़ी मन की हूक मात्र, बाकी कर भी क्या सकते हैं

Shalini kaushik ने कहा…

एक एक शब्द सही कह रहे है आप

बेनामी ने कहा…

aabhar mahodaya