शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

कौतुक बरकरार

हर्षित प्रसंचित 
धरा की विह्ंगमता देख 
मन उमंगित 
पर !!!! कौतुक बरकरार 
क्यों ? नहीं हमारे मन 
इस धरती की तरह मनोरम और निर्मल होते…

2 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर.....

विचारणीय प्रश्न...

अनु

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

Abhar Anu jee aapne choti soch ko saraha hai