सुख शांति या सम्पन्ता
सुख तो विसंगितयों ने छीन लीया
शांति चक्काचौध में विलुप्त हो गयी
चलो सम्पन्ता का पाठ करूं
सम्पन्ता!!!!!
वो तो मंहगाई में घिसट रही
आज तेरे इस पावन पर्व पर
तेरे नौ रूपों का जाप कर
यही आकांक्षा करूं
रक्षा अपने वतन की करने में
अपने सच्चे कर्मों का र्निवहन कर
आदिशक्ति तुझ से यही अर्चना करूं
न भटके ऐसी राह पर कदम मेरे
उस राह से ये जीवन ना कलंकित करूं
अपने कर्म पथ पर अडिग हूँ
अडिग रहूँ
माँ यही अराधना करूं
…………बलबीर राणा भैजी
16 अक्टूबर 2012
2 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रार्थना....
माँ की कृपा सदा बनी रहे हम सभी पर..
अनु
Sukriya Anu jee
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