जनता कर्फ्यू निभाना है
अपनों के साथ कुछ पल नहीं
कुछ दिन पे दिन गुजारना है
दानव कोरोना भगाना है।
अब तक हाथ से हाथ मिलाकर
बाधाओं को पार करना जाना है
अब हाथ जोड़ दूर रहकर
इस बाधा को पार लगाना है
संघे शक्ति कलयुगे की ताकत
इस अदृश्य दानव को दिखाना है
दानव कोरोना भगाना है
आगे भी जनता कर्फ्यू निभाना है।
छाती तान गुथम गुथे से
जैविक युद्ध नहीं जीता जाता
तोप बमों से इस शक्ति को
हराया नहीं जाता
अकड़ नहीं बुद्धि विवेक से
एक दरम्यानी फासला बनाना है
भारत को कोरोना मुक्त बनाना है
जनता कर्फ्यू निभाना है ।
बहुत किये हैं धरना उपवास
बाहर चौराहों में बैठकर
कभी भटके कभी संगठित हुए
सभा सेमिनारों में डटकर
कुछ दिन घर में रहकर
धैर्य संयम अपना आजमाना है
दानव कोरोना को भगाना है।
जनता कर्फ्यू निभाना है।
बहुत हो ली तेरी मेरी
कुछ दिन हम बनके दिखाते है
भय नहीं जागरूक रहकर
इसे ताकत अपनी बताते हैं
सोशियल डिस्टेंस की अहमियत
समझना और समझाना है
दानव करोना को भगाना है
आगे भी जनता कर्फ्यू निभाना है।
ढूंढें आलमारी बक्सों में
कुछ पुरानी प्रेम कहानियाँ
टटोलो किताबों के पन्नो मैं
दादा दादी ने जो सुनायी जुबानियाँ
कुदरत के दिये इस समय को
कल की यादों के लिए सहेजना है
दानव कोरोना को भगाना यहै।
जनता कर्फ्यू को निभाना है।
@ बलबीर राणा 'अड़िग'
4 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-03-2020) को "घोर संक्रमित काल" ( चर्चा अंक -3649) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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आप अपने घर में रहें। शासन के निर्देशों का पालन करें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
दूसरों के ब्लॉग पर भी टिप्पणी दिया करो।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सामयिक प्रस्तुति
बहुत सुंदर सामायिक सर्वजन हिताय ।
वाह , रोचक , समसामयिक सुंदर प्रस्तुति | अत्यंत नयनाभिराम चित्र सोने पे सुहागा | बधाई और शुभकामनाएं बलबीर जी |
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