पहले गिरता
कटे पेड़ की तरह
धड़ाम
फिर अंधड, जलजला
भूकंप, सुनामी
एक साथ थामता
पूरी विनाश लीला
को
फिर !
उठ बैठता
शांत सील
जैसा कुछ हुआ
ना हो
चुपचाप टटोलता
है
बबंडर के अवशेष
शरीर पर।
इस सजा की किसी
से
ना सिकवा न शिकायत
हाँ ! आतंकित
करता
परिजनों को हमेशा
के लिए
थमने का।
@ बलबीर राणा
अडिग
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1 टिप्पणी:
सजीव चित्रण।
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