गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

वायरल पहाड़

 


      प्रवासी रीना छुट्टीयों में गांव जा रखी थी उसे बचपन से बहुत जिज्ञासा थी अपनी जन्म थाती पहाड़ी जीवन वैभव देखने और समझने की। गांव की काष्ठ देह ताईयों, चाचियों और हमउम्र सखियों के साथ खूब घूमी। सीढ़ीनुमा खेत, सदाबहार जंगल, रौनकदार बुग्याळ, खाळ, धार, सदानीरा गदेरे, झरने, कोई जगह नहीं छोड़ी साथ में  अपने डी एस एल आर और मोबाईल में कैद करती रही प्रकृति की अनुपमताओं को, सेल्फी हल के पीछे कुड़ते चाचा, चट्टान पर घास काटती भाभी, डालियों पर उछल कूद मचाते लंगूर, गोधुली में घर लौटती बकरियों की तांद, अपनों के वियोग में कराहती बूढ़ी दादी, आदी आदी के साथ ।

      नित्य सोशियल मिडीया पर अपडेट। कुछ फोटो कविता गजल में गढ़ी जा रही थी कुछ स्लोगनों में मढ़ी जा रही थी। विडीयो यू टयूब और टिकटॉक पर धूम मचा रहे थे।  रीना वायरल थी दुनियां में ट्रेंड कर रही थी और अपने काठ के जीवन मे ठाट की बाट जोहता पहाड़ अपनी जगह मूक बदिर रो रहा था, कराह रहा था पलायन के दंश से। संताप में था अपनी जवानी और पानी के लिए जो कभी उसके काम नहीं आई।

@ बलबीर राणा ‘अडिग’

Adigshabdonkapehara 


12 टिप्‍पणियां:

Harish Mamgain ने कहा…

वाह अडिग जी ! बहुत सुन्दर लघुकथा है ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सार्थक लघुकथा।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद आदरणीय ममगांई जी, गुरुवर डॉण् रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी। स्नेह आशीष बना रहे

अध्धा नाम वलु - सते ,,, कविता ने कहा…

अब कुई कतगा भी खुद लगेणा कोशिश कारा पर यु ज्युकुडू ढुङ्गा व्हे ग्या🙏

Unknown ने कहा…

वाह बहुत खूब

Unknown ने कहा…

वाह अडिग जी भौत सुन्दर

Unknown ने कहा…

बहुत उदभुत

भावसुधा नन्दन राणा "नवल" ने कहा…

वाह!!बिल्कुल सटीक।
गागर में सागर भर दिया आपने भ्राता जी।

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद भुला सेते जी

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद महोदय

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

आभार अभिवादन आदरणीय

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

धन्यवाद भुला राणा जी