बुधवार, 17 सितंबर 2025

योगा संग दोहा



दिवाकर संग पथ गहे, स्वीकारें तप्त धूप।
जागृत हो कर्म साधना, मिटे हिय अंध कूप।।
 
कर्म संधान लक्ष्य पहुँचे, फिर बजे विजय शंख।
सार्थक हो काज तेरे, सकल लगाए अंक।।
@ बलबीर राणा 'अडिग' 

https://youtu.be/AOu69Pvab_g?si=t9kCSD4i8eZX3m-E  

मंगलवार, 16 सितंबर 2025

नव गीत



तप्त धूप में नहाकर गाएँ,
नए सपनों का गीत।
कर्मप्रधान धरती बोले,
जागो! करो श्रम-सृजन प्रीत।।

स्नायुओं में दौड़े शोणित-उत्साह,
मन में हो दृढ़ विश्वास।
तरुण डग बढ़ेंगे निर्भीक जब,
तब भागेगा अकर्मण्य त्रास।।

मिट्टी गाएगी गीत समृद्धि का,
पर्वत बजाएगा विजयी शंख।
अखंड भारत, सशक्त भारत,
होगा विश्वगुरु, जगत-रंक।।

16 Sep 25
@अडिग

रविवार, 14 सितंबर 2025

कुण्डलिया: राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस



हिंदी हमारी शान है, भारत की पहचान।
अपनी यह राष्ट्रभाषा, है अपना अभिमान।।
है अपना अभिमान, मनोहर मोहक सुवास।
राष्ट्र स्वाभिमान है, आत्म-श्रद्धा आत्मविश्वास।।  
माथा सुशोभित है, य माता भारती बिन्दी।
समग्र जन गुमान हो, सर्वस्व राष्ट्रभाषा हिंदी।। 

बुधवार, 3 सितंबर 2025

भीड़ में कौन अलग नज़र आते हैं ?



भीड़ में कौन अलग नज़र आते हैं ?
जो साधना में खुद को तपाते हैं।

प्रयोजन होते सभी के पृथक, विलग,
पर! पाते वही जो स्वयं को खपाते हैं।

मद, सियासत लोलुपता चीज ही ऐसी,
यहाँ निर्देशक भी राह भटक जाते हैं।

कुठार* भरे पड़े हैं, भ्रष्टाचार से जिनके,
वही भ्रष्टाचार खत्म करेंगे बखाते हैं।

खुद घुटनों तक जल पड़े हैं, भीतर,  
किड़ाण* कहाँ आ रही बाहर चिल्लाते हैं।

लगन की लागत पहचानने वाले 'अडिग'
अगर-मगर वाली डगर नहीं जाते हैं।

*
कुठार - भंडार
किड़ाण - बालों के जलने की गंध

@ बलबीर राणा 'अडिग'