धरा पर जीवन संघर्ष के लिए है आराम यहाँ से विदा होने के बाद न चाहते हुए भी करना पड़ेगा इसलिए सोचो मत लगे रहो, जितनी देह घिसेगी उतनी चमक आएगी, संचय होगा, और यही निधि होगी जिसे हम छोडके जायेंगे।
हिंदी हमारी शान है, भारत की पहचान। अपनी यह राष्ट्रभाषा, है अपना अभिमान।। है अपना अभिमान, मनोहर मोहक सुवास। राष्ट्र स्वाभिमान है, आत्म-श्रद्धा आत्मविश्वास।। माथा सुशोभित है, य माता भारती बिन्दी। समग्र जन गुमान हो, सर्वस्व राष्ट्रभाषा हिंदी।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें