रविवार, 30 सितंबर 2012

खुशियों के कुछ पलों के लिए




खुशियों के कुछ पलों के लिए 
घोंसले में चहकता है पंछी 
पंखो के बाहुपाश में  समेटता 
चमन को 
चोंच टकराता
घरोंदे के ओर- छोर, 
उमंग ढूंडता
जीतना चाहता अपने मौन को 
मस्तमंगल धुन में
संसार के पराभव को गाना चाहता 
खुशी की व्यंजना में
प्रेम का शब्दावरण 
पहनाना चाहता 
क्रूर बाज के तीक्ष्ण निगाहों से 
घरोंदे को बचाना चाहता 

बलबीर राणा "भैजी"
३० सितम्बर  २०१२