मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

माँ यही अराधना करूं



माँ तुझसे क्या मांगू
सुख शांति या सम्पन्ता
सुख तो विसंगितयों ने छीन लीया
शांति चक्काचौध में विलुप्त हो गयी
चलो सम्पन्ता का पाठ करूं
सम्पन्ता!!!!!
वो तो मंहगाई में घिसट रही
आज तेरे इस पावन पर्व पर
तेरे नौ रूपों का जाप कर
यही आकांक्षा करूं
रक्षा अपने वतन की करने में
अपने सच्चे कर्मों का र्निवहन कर
आदिशक्ति तुझ से यही अर्चना करूं
न भटके ऐसी राह पर कदम मेरे
उस राह से ये जीवन ना कलंकित करूं
अपने कर्म पथ पर अडिग हूँ
अडिग रहूँ
माँ यही अराधना करूं
…………बलबीर राणा भैजी
16 अक्टूबर 2012

2 टिप्‍पणियां:

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

सुन्दर प्रार्थना....
माँ की कृपा सदा बनी रहे हम सभी पर..

अनु

बलबीर सिंह राणा 'अडिग ' ने कहा…

Sukriya Anu jee