शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

हंसी


फूलों की बगिया के खिलते
फूलों की मोहकता है हंसी
मुख के आभा मंडल की
अभिव्यक्ति है हंसी
होंठ और आँखों की शोभा बन,
अनमोल औषधी है हंसी
मन के दर्पण की स्वच्छता को प्रर्दषित करती है हंसी
अनकहे शब्दों के चित्र को प्रतिबिम्बित करती है हंसी
खुशी की अभिव्यंजना को उकेरते हुए,
आत्मिक सुख की अनुभूति है हंसी
दर्द की पीडा कम करती हंसी
मन्द मूकता में,
दो दिलों के मिलन का सेतु बन जाती हंसी
अनचाहे दुखः के भय को
सुख में समाहित करती हंसी
ना कह कर भी, बहुत कुछ
कह देती है हंसी
बेवजह की बत्तीसी की चमक
उपहास का द्योतक बन, 
पागलों की परिभाषा बन, जाती है हंसी
हंसना जरूरी है जीवन में
ध्यान रहे कुटिल हंसी, ना हंसना भैजी
नहीं तो तेरी हंसी मेरी हंसी को रूला देगी
………………बलबीर राणा भैजी
19 अक्टूबर 2012  

कोई टिप्पणी नहीं: